बेवजह जन्नत की आरज़ू किये जा रहे हैं वो
1.
बेवजह जन्नत की आरज़ू
किये जा रहे हैं वो
खुदा की राह को मकसदे – इंसानियत
समझते नहीं हैं वो
2.
जन्नत की आरज़ू का
एहसास जुदा होता है
महसूस ये होता है
कहीं आसपास खुदा होता है
1.
बेवजह जन्नत की आरज़ू
किये जा रहे हैं वो
खुदा की राह को मकसदे – इंसानियत
समझते नहीं हैं वो
2.
जन्नत की आरज़ू का
एहसास जुदा होता है
महसूस ये होता है
कहीं आसपास खुदा होता है