Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Dec 2019 · 4 min read

बेरोजगारों से रोजगार शुल्क

मौजूदा हालात के भारत में बेरोजगारी की वास्तविक स्थिति किसी से भी छिपी हुई नहीं है । शुरुआती दिनों में बेरोजगारी एक समस्या बनी , बाद में बड़ी समस्या और आज यह अभिशाप बनकर हमारे बीच विद्यमान है । दिन – ब- दिन बेरोजगारी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण जनसंख्या में होनेवाली तीव्र वृद्धि को मान जाता है । आज के दौर में युवा वर्ग अपने करियर को लेकर पहले से ज्यादा जागरुक और सजग है । वहीं अभिभावकों में भी नई जागरुकता का संचार हुआ है । अभिभावक पहले की अपेक्षा यथासंभव शिक्षा अपने बच्चों को मुहैया कराने का प्रयास करते हैं । दूसरी ओर बच्चे भी सजगता से प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा पाने की हरसंभव कोशिश करते हैं । उच्चवर्गीय परिवारों के जो बच्चे हैं उन्हें तो माध्यमिक से उच्च शिक्षा ग्रहण करने तक में कोई कठिनाई नहीं आती पर मध्य एवं निम्नवर्गीय परिवार के बच्चों को कई कठिनाईयों से होकर गुजरना पड़ता है । कई तो कठिनाईयों का सामना कर निरंतर आगे बढ़ते हैं परंतु कई ऐसे भी होते हैं जो कठिनाईयों से आहत होकर पढा़ई बीच में ही छोड़ देते हैं । वो कौन सी परिस्थितियां हैं जो उन मध्यम एवं निम्नवर्गीय परिवार के छात्रों की राह में रोडा़ बनते हैं ? आखिर वे कौन से कारक हैं जो उनकी पढा़ई को बाधित कर उनकी प्रतिभा एवं मेधा को कुंठा एवं लाचारी में तब्दील करते हैं ? और जवाब है परिवार की कमतर आमदनी , महंगाई और प्रतिष्ठित प्रतियोगी नियोक्ताओं द्वारा लिए जाने वाले आवेदन, पंजीकरण या परीक्षा व परीविक्षा शुल्क । जी हां , हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि , मध्यम एवं निम्नवर्गीय परिवार की आर्थिक स्थिति आजादी के 72 वें वर्ष में भी अच्छी नहीं हो पाई है । बावजूद इसके प्रतियोगी परीक्षाओं में विभिन्न नामों से उनसे शुल्क की उगाही की जाती है । आज इन परिवारों की स्थिति यह है कि परिवार में आय के स्रोत कम हैं तथा व्यय के अधिक और इन परिवारों के पास कोई ढ़ंग का रोजगार भी नहीं है , और ऐसा नहीं है कि ये परिवार किसी धर्म अथवा जाति विशेष से ताल्लुक रखते हैं । लगभग सभी धर्मों और जातियों के अंदर इन परिवारों की संख्या बहुतायत होने के बावजूद सियासत के द्वारा चंद सियासी फायदों के लिए मेधा और प्रतिभा भी जातियों में बांट दिए गए हैं । मेधा और प्रतिभा धर्म अथवा जातिगत आधार पर नहीं आती , फिर यह विषमताएं क्यों ? बेरोजगार युवाओं से रोजगार देने के नाम पर शुल्क उगाही करना कहां तक जायज है ?
निम्न एवं मध्यमवर्गीय परिवार अपने बच्चों को किसी तरह से इंटर, स्नातक तक की पढा़ई करवाते हैं ये सोचकर कि अच्छी शिक्षा से अच्छी नौकरी मिलेगी लेकिन, जब ये बच्चे पढा़ई पूरी कर रोजगार की तलाश में प्रतियोगी परीक्षाओं का रूख अख्तियार करते हैं तब ये शुल्क उनके उज्ज्वल भविष्य के आड़े आने लगते हैं । मेरे मन में काफी दिनों से एक सवाल कौंध रहा है कि आखिर महंगाई, बेरोजगारी से त्रस्त इन परिवारों के बेरोजगार बच्चों से ये राशि क्यों ली जाती है ? एक सज्जन ने जवाब दिया आपके आवेदन करने से लेकर आपके बहाल होने तक का वो खर्च है जिसे संस्थान वसूल करता है । इस जवाब को सुनकर एक अन्य सवाल मेरे मन में कौंधने लगा कि , क्या सरकार अन्य मदों की तरह बेरोजगारी के मद को अपने बजट में नहीं ला सकती ? ला सकती है जनाब, पर अब की आनेवाली सभी सरकारों में बेरोजगारी के प्रति उदासीनता का भाव साफ देखा गया है । बेरोजगारी के मसले पर सरकार के अंदर इच्छाशक्ति का घोर अभाव देखने को मिला है । अगर गौर से सोचा जाए तो अब की सरकारें उन मदों पर भी भारी धनराशियां खर्च करती आई है जिससे देश अथवा देशवासियों का कुछ भला नहीं हो पाया है । क्या वैसे कुछ खर्चों को रोक कर या कम करके सरकार इन परिवारों के बच्चों पर खर्च नहीं कर सकती ? कभी-कभी सोचकर बड़ा अजीब लगता है कि, विधायकों , सांसदों, मंत्रियों तथा अन्य राजनेताओं के वेतन तथा सभी भूतपूर्व माननीयों के पेंशन पर अरबों रूपया बहाने वाली सरकारें अपनी संस्थाओं द्वारा इन बच्चों से शुल्क उगाही करवा रही है । अगर सरकार चाहे तो माननीयों के पेंशन में कटौती कर ऐसे परिवार के बच्चों को ही नहीं बल्कि सभी बेरोजगारों को प्रतियोगी परीक्षाओं में लगने वालें शुल्कों से मुक्त कर सकती है या राहत दे सकती है । चूंकि भारत में बेरोजगारी अपने चरम पर है और इसके फलस्वरूप बेरोजगार लोग भारी मानसिक तनाव एवं दवाब में हैं । बेरोजगारी से त्रस्त लोग लगातार तंगहाली के गर्त में जाने को मजबूर हैं । ऐसे में अगर उन्हें इस प्रकार अवांछित खर्चों से निजात दिला दिया जाए तो उनके अंदर उम्मीद की एक नई किरण की उत्पत्ति होगी ।वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए इस क्षेत्र में कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है ।

विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली

Language: Hindi
Tag: लेख
233 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-454💐
💐प्रेम कौतुक-454💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
*लव इज लाईफ*
*लव इज लाईफ*
Dushyant Kumar
विकटता और मित्रता
विकटता और मित्रता
Astuti Kumari
तुम जो आसमान से
तुम जो आसमान से
SHAMA PARVEEN
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सत्य कुमार प्रेमी
बाकी सब कुछ चंगा बा
बाकी सब कुछ चंगा बा
Shekhar Chandra Mitra
बहुत देखें हैं..
बहुत देखें हैं..
Srishty Bansal
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
जीने का हौसला भी
जीने का हौसला भी
Rashmi Sanjay
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
Ravi Prakash
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
अनिल कुमार
मेरा बचपन
मेरा बचपन
Ankita Patel
कथ्य-शिल्प में धार रख, शब्द-शब्द में मार।
कथ्य-शिल्प में धार रख, शब्द-शब्द में मार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
Er. Sanjay Shrivastava
🙂
🙂
Sukoon
दिखा दूंगा जहाँ को जो मेरी आँखों ने देखा है!!
दिखा दूंगा जहाँ को जो मेरी आँखों ने देखा है!!
पूर्वार्थ
मौन
मौन
निकेश कुमार ठाकुर
जाने क्यूं मुझ पर से
जाने क्यूं मुझ पर से
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
चिन्ता और चिता मे अंतर
चिन्ता और चिता मे अंतर
Ram Krishan Rastogi
जग के जीवनदाता के प्रति
जग के जीवनदाता के प्रति
महेश चन्द्र त्रिपाठी
धुंध इतनी की खुद के
धुंध इतनी की खुद के
Atul "Krishn"
गुरु महिमा
गुरु महिमा
विजय कुमार अग्रवाल
2403.पूर्णिका
2403.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
Dr. Man Mohan Krishna
चाँद
चाँद
Vandna Thakur
स्वाधीनता संग्राम
स्वाधीनता संग्राम
Prakash Chandra
★साथ तेरा★
★साथ तेरा★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
ਰਿਸ਼ਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਤਿਜਾਰਤਾਂ
ਰਿਸ਼ਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਤਿਜਾਰਤਾਂ
Surinder blackpen
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
Loading...