बेबसी
बेबसी
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आज इंसान भटक रहा है
तन से भी, मन से भी
जीवन की इस आपाधापी में
स्थिर कहां हो पा रहा है,
लाख जतन करता
अनुलोम विलोम
व्यायाम भी करता,
परंतु फिर भी
परेशान ही रहता,
न तन ठहर पाता है
न मन तन के साथ रह पाता है।
इंसान हैरान परेशान है,
क्योंकि लाख जतन के बाद भी
तन मन एक साथ रह सके
इसमें तो बस हमेशा
व्यवधान ही आता है।
बेबस इंसान लाचार है,
उसे कुछ भी तो
समझ नहीं आता है।
✍सुधीर श्रीवास्तव