— बेटी —
बड़े नसीबों से आती हैं
घर को जो महकाती हैं
हम तो गुजारिश कर सकते हैं
यह तो इश्वर के भेजी हम को भाती हैं !!
सब के घरो में क्यूं नही होती ?
यह तो नसीब नसीब से होती हैं
किया होगा कुछ अच्छा पिछले जन्म में
तभी तो इस युग में सब का घर महकाती हैं !!
पापा की तो यह परियां होती हैं
माँ के आँचल की महक होती हैं
दो पल भी अगर नजर न आये घर में
देखो घर की सूरत सीरत कैसी होती है !!
पहले मायका, फिर ससुराल
दो जहान के घर महकाती हैं
हिम्मत देता है विधाता पालने की
तभी तो ये घर घर की रौनक होती हैं !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ