‘बेटी’
बेटी कुल का चाँद बनेगी,
बेटी सुर का तार।
उज्ज्वल दीपक बनेगी बेटी,
चमकेगा घर -द्वार ।
गगन गरजना बनेगी बेटी,
पृथ्वी-सा आधार ।
सूरज-सा तेज़ बनेगी बेटी,
सरिता-सी निर्मल धार।
अवनि-सा उपकार करेगी,
दुष्टों का संहार ।
फैलेगी फूलों-सी खुशबू,
खुश होगा संसार ।
कवि ‘मयंक’ की धवल अदीति,
जीवन का आधार ।