बेटी
???बेटी???
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बेटी; बेटी दीये की बाती है,
बेटी प्रेम प्रित की पांती है।
बेटी; बेटी घर का आंगन है,
बेटी माता का आंचल है।
बेटी; बेटी कुल की थाती है,
बेटी मात पिता की लाठी है।
बेटी; बेटी हार है फूलों का,
बेटी अभिमान दो कुलों का।
बेटी; बेटी पिता की जिज्ञासा,
बेटी रिश्तों की परिभाषा।
बेटी; बेटी दुर्गा काली हैं,
बेटी अन्नपूर्णा की थाली है।
बेटी; बेटी से सृजित जमाना है,
बेटी राधा, मीरा, सत्यभामा है।
बेटी; बेटी पूण्य है जीवन का,
बेटी प्रसाद है ईश्वर का।
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©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”