बेटी
??बेटी ??
बेटी है नीर नर्मदा का ,
बेटी गंगा जल पावन है ,
बेटी से शोभा है घर की ,
बेटी से घर का गुलशन है ,
बेटी देवी कल्याणी है ,
बेटी बिन कल्याण नहीँ होगा ,
बेटी कॊ मान नहीँ दोगे ,
अपना सम्मान नहीँ होगा ॥
बेटी झाँसी की रानी है ,
अंग्रेजों से लड़ जाती है ,
बेटी ही सुनीता विलियम है ,
जो अंतरिक्ष तक जाती है ,
बेटी की महिमा कॊ समझो ,
बिन इसके काम नहीँ होगा ,
बेटी कॊ मान नहीँ दोगे ,
अपना सम्मान नहीँ होगा ॥
बेटी ही रानी पदमिनी है ,
जौहर करके दिखलाती है ,
बेटी ही दुर्गावती भी है ,
मुगलों कॊ मार भगाती है ,
बेटी के शौर्य पराक्रम बिन ,
इतिहास तमाम नहीँ होगा ,
बेटी कॊ मान नहीँ दोगे ,
अपना सम्मान नहीँ होगा ॥
अपना सम्मान नहीँ होगा ॥
अपना सम्मान नहीँ होगा ॥
रचनाकार :दीपक गुप्ता “दीप ”
सहायक अध्यापक P/S भमका
अध्यक्ष : सालीचौका साहित्य परिषद
सालीचौका