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12 Jan 2017 · 1 min read

” बेटी “

पलको पे पली साँसो में बसी
माता-पिता की आस है बेटी
हर पल मुस्काती गाती
एक सुखद अहसास है बेटी
घबराओ मत दंश नहीं वंश है बेटी

गहराती दर्द की अँधेरी रातों में
भोर की उजली किरण है बेटी
सूने आँगन में खिली मासूम
कली की सी मुस्कान है बेटी
घबराओ मत दंश नही वंश है बेटी

मान , सम्मान, अभिमान है बेटी
दोनो कुलो की लाज है बेटी
दुख – दर्द भीतर ही सहती
एक खामोश आबाज है बेटी
घबराओ मत दंश नहीं वंश है बेटी

शुष्क तपित धरती पर
सघन वृक्षों की शीतल छाया
मन्द -मन्द बहती बयार सी
सुन्दर , मर्मस्पर्शी, प्यारी है बेटी
घबराओ मत दंश नहीं वंश है बेटी ।

आभा सक्सेना

Language: Hindi
506 Views
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