Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Nov 2017 · 2 min read

[[[ बेटी के नाम पत्र ]]]

बेटी के नाम पत्र
// दिनेश एल० “जैहिंद”

जयथर/मशरक
06. 11. 2017

प्रिय पुत्री “शुभेच्छा”
शुभाशीष !

परसो ही तुम्हारा पत्र मिला, पढ़कर सब समाचार मालूम हुआ । यह जानकर मुझे बड़ी खुशी हुई कि तुम पटना में अपने मामा-मामी के पास रहकर खूब मन लगाकर वकालत की पढ़ाई कर रही हो ।
तुम्हारे मामा-मामी और ममेरे भाई-बहन सकुशल हैं, यह प्रसन्नता की बात है । तुम्हें भी यह जानकर खुशी होगी कि यहाँ तुम्हारे छोटे भाई-बहन और तुम्हारी माँ और दादी सब कुशल-मंगल हैं, मैं भी अपना अध्यापन-कार्य सुचारु ढंग से किए जा रहा हूँ । तुम किसी बात की चिंता मत करना और पढ़ाई में मन लगाए रहना ।
तुम्हें आगे चलकर एक सच्चा, अच्छा व ईमानदार वकील बनना है । तुम्हें वकील बनने में मैं अपना सपना साकार होते देख रहा हूँ बेटी, क्योंकि मेरी हार्दिक इच्छा थी कि मैं एक वकील बनूँ परन्तु बेटी, मैं वकील नहीं बन सका; एक मामूली अध्यापक बन कर रह गया ।
बेटी शुभेच्छा, सच कहूँ तो मैं बेहद भोला, सच्चा व ईमानदार व्यक्ति हूँ और पता नहीं क्यूँ अपने जैसा ही बाकी लोगों से अपेक्षा किए रहता हूँ । परन्तु शेष लोग और ये दुनिया मेरे जैसी नहीं है । ये दुनिया तो बड़ी क्रूर है । और लोग, लोग तो निष्ठुर, निर्लज्ज, जल्लाद हैं और साथ ही झूठा, बेईमान, मतलबी हैं । मैं बताऊँ तुम्हें–
समाज में फैली विकट परिस्थितियों और लोगों के अंदर बैठी इन्हीं बुराइयों से लड़ने के लिए मैं एक वकील बनना चाहता था । इस युग का ताप ही है बेटी कि कोई अधिकारिक संबल लिए बिना तुम समाज की बुराइयों व गुनाहों से नहीं लड़ सकती हो । इस युग में कुर्सी का बड़ा ही महत्त्व है बेटी ।
जब कुर्सी की बात चल ही गई तो सुनो ! इस कुर्सी की खातिर नेता नौकर, साहेब सेवक और प्रजा राजा बन जाता है । लेकिन कुर्सी मिलते ही पुन: इसकी उलट परिस्थिति बन जाती है ।
अब सोचो, नेताओं का चारित्रिक विश्लेषण इससे अधिक क्या हो सकता है ?
सोचने की बात आई तो तुम्हें सोचना होगा—अपने बारे में, अपनी बहनों के बारे में व आज के समाज में नारी की स्थिति के बारे में । उनकी खातिर तुम्हें तैयार होना होगा, उनके दुश्मनों की खातिर तुम्हें कानूनी तलवार उठानी होगी, और उनसे लड़कर उन्हें परास्त कर नारी का वही प्राचीनतम मान-सम्मान लौटाना होगा ।
समाज में छुपे वहशी-दरिंदे, आदमखोर व लम्पट भेड़ियों के चेहरे से नकाब उतार फेंकना होगा । और उन्हें न्यायोचित सजा दिलानी होगी ।
बेटी शुभेच्छा, अरे देखो, भावनाओं में बहकर मैं भी क्या-क्या लिखता चला गया । अच्छा चलो ! थोड़ा लिखना, ज्यादा समझाना ।
छोटों की ओर से तुम्हें प्रणाम और तुम्हारी माँ की ओर से तुम्हें आशीर्वाद ।
सधन्यवाद ।

तुम्हारा पिता–
दिनेश कुमार महतो
गाँव– जैथर
डाक– जैथर
भाया– मशरक
जिला– सारन ( बिहार )
पिन—841417

==============
दिनेश एल० “जैहिंद”
06. 11. 2017

Language: Hindi
Tag: लेख
1122 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कृष्ण जी के जन्म का वर्णन
कृष्ण जी के जन्म का वर्णन
Ram Krishan Rastogi
आप जितने सकारात्मक सोचेंगे,
आप जितने सकारात्मक सोचेंगे,
Sidhartha Mishra
वो इश्क को हंसी मे
वो इश्क को हंसी मे
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
पत्थर का सफ़ीना भी, तैरता रहेगा अगर,
पत्थर का सफ़ीना भी, तैरता रहेगा अगर,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तू बस झूम…
तू बस झूम…
Rekha Drolia
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
■ जम्हूरियत के जमूरे...
■ जम्हूरियत के जमूरे...
*Author प्रणय प्रभात*
इसमें हमारा जाता भी क्या है
इसमें हमारा जाता भी क्या है
gurudeenverma198
अभी सत्य की खोज जारी है...
अभी सत्य की खोज जारी है...
Vishnu Prasad 'panchotiya'
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ग्वालियर की बात
ग्वालियर की बात
पूर्वार्थ
हिय  में  मेरे  बस  गये,  दशरथ - सुत   श्रीराम
हिय में मेरे बस गये, दशरथ - सुत श्रीराम
Anil Mishra Prahari
इजाज़त
इजाज़त
डी. के. निवातिया
🇭🇺 श्रीयुत अटल बिहारी जी
🇭🇺 श्रीयुत अटल बिहारी जी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
प्रेम साधना श्रेष्ठ है,
Arvind trivedi
और चलते रहे ये कदम यूँही दरबदर
और चलते रहे ये कदम यूँही दरबदर
'अशांत' शेखर
दोस्ती के नाम
दोस्ती के नाम
Dr. Rajeev Jain
हमको
हमको
Divya Mishra
मेरी फितरत तो देख
मेरी फितरत तो देख
VINOD CHAUHAN
💐प्रेम कौतुक-408💐
💐प्रेम कौतुक-408💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तुझे पाने की तलाश में...!
तुझे पाने की तलाश में...!
singh kunwar sarvendra vikram
माँ तो पावन प्रीति है,
माँ तो पावन प्रीति है,
अभिनव अदम्य
जीभ
जीभ
विजय कुमार अग्रवाल
दिखावे के दान का
दिखावे के दान का
Dr fauzia Naseem shad
यह कैसा पागलपन?
यह कैसा पागलपन?
Dr. Kishan tandon kranti
मंजिले तड़प रहीं, मिलने को ए सिपाही
मंजिले तड़प रहीं, मिलने को ए सिपाही
Er.Navaneet R Shandily
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
बनें जुगनू अँधेरों में सफ़र आसान हो जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
***** सिंदूरी - किरदार ****
***** सिंदूरी - किरदार ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
" अकेलापन की तड़प"
Pushpraj Anant
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
Loading...