Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2018 · 1 min read

बेटी की शादी

पूर्णमासी हो गई
कन्यादान हो गई
तात रोया उम्रभर
बेटी विदा हो गई।
थे अचरज में सब
क्या कमाल हुआ
कहाँ से हुई कृपा
क्या धमाल हुआ।
सोचता रहा तात
क्या अजब है तू
बेटी भी देता है
दहेज भी देता है।

* सूर्यकान्त द्विवेदी

Language: Hindi
389 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐इश्क़ में फ़क़्र होना भी शर्त है💐
💐इश्क़ में फ़क़्र होना भी शर्त है💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सपनों का राजकुमार
सपनों का राजकुमार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सच्चाई की कीमत
सच्चाई की कीमत
Dr Parveen Thakur
मानव-जीवन से जुड़ा, कृत कर्मों का चक्र।
मानव-जीवन से जुड़ा, कृत कर्मों का चक्र।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Go wherever, but only so far,
Go wherever, but only so far,"
पूर्वार्थ
समय की चाल समझ मेरे भाय ?
समय की चाल समझ मेरे भाय ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
ऐ सुनो
ऐ सुनो
Anand Kumar
"बेखुदी "
Pushpraj Anant
मैं नन्हा नन्हा बालक हूँ
मैं नन्हा नन्हा बालक हूँ
अशोक कुमार ढोरिया
"लोगों की सोच"
Yogendra Chaturwedi
पितर पाख
पितर पाख
Mukesh Kumar Sonkar
*वरद हस्त सिर पर धरो*..सरस्वती वंदना
*वरद हस्त सिर पर धरो*..सरस्वती वंदना
Poonam Matia
कभी-कभी
कभी-कभी
Sûrëkhâ Rãthí
क्या कर लेगा कोई तुम्हारा....
क्या कर लेगा कोई तुम्हारा....
Suryakant Dwivedi
मरहटा छंद
मरहटा छंद
Subhash Singhai
*ये उन दिनो की बात है*
*ये उन दिनो की बात है*
Shashi kala vyas
बापू की पुण्य तिथि पर
बापू की पुण्य तिथि पर
Ram Krishan Rastogi
परिवर्तन
परिवर्तन
विनोद सिल्ला
सुबह वक्त पर नींद खुलती नहीं
सुबह वक्त पर नींद खुलती नहीं
शिव प्रताप लोधी
रास्ता दुर्गम राह कंटीली, कहीं शुष्क, कहीं गीली गीली
रास्ता दुर्गम राह कंटीली, कहीं शुष्क, कहीं गीली गीली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आज़ादी का जश्न
आज़ादी का जश्न
Shekhar Chandra Mitra
जिम्मेदारी और पिता (मार्मिक कविता)
जिम्मेदारी और पिता (मार्मिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
कुछ नहीं.......!
कुछ नहीं.......!
विमला महरिया मौज
*बुरे फँसे नुकती के लड्डू की तारीफ कर के( हास्य व्यंग्य )*
*बुरे फँसे नुकती के लड्डू की तारीफ कर के( हास्य व्यंग्य )*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मैकदे को जाता हूँ,
मैकदे को जाता हूँ,
Satish Srijan
देर आए दुरुस्त आए...
देर आए दुरुस्त आए...
Harminder Kaur
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
Seema gupta,Alwar
Loading...