Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jan 2017 · 1 min read

बेटी का अरमान

मिला मुझे एक कोरा कागज़
मैं उसपर अरमान लिखूंगी
कलम प्यार में डुबा डुबाकर
उस पर सारा संसार लिखूंगी

गीत लिखूंगी अनुभव का मैं
शब्दों का व्यवहार लिखूंगी
स्वप्न रचूंगी वैभव का मैं
उसपर अपना अधिकार लिखूंगी
मिला मुझे एक कोरा कागज़
मैं उसपर उत्थान लिखूंगी

जड़ लिखूंगी मिट्टी में मैं
ऊँची ऊपर उड़ान लिखूंगी
जहाँ हवा बहे अनुकूलतम
ऐसा आसमान लिखूंगी
मिला मुझे एक कोरा कागज़
मैं उसपर परवान लिखूंगी

आंगन में त्योहार लिखूंगी
चेहरों पर मुस्कान लिखूंगी
हर कोने में प्राण भरूंगी
और अपनी पहचान लिखूंगी
मिला मुझे एक कोरा कागज़
मैं उसपर सम्मान लिखूंगी

2 Comments · 515 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-352💐
💐प्रेम कौतुक-352💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
छल और फ़रेब करने वालों की कोई जाति नहीं होती,उनका जाति बहिष्
छल और फ़रेब करने वालों की कोई जाति नहीं होती,उनका जाति बहिष्
Shweta Soni
कहीं दूर चले आए हैं घर से
कहीं दूर चले आए हैं घर से
पूर्वार्थ
"वे लिखते हैं"
Dr. Kishan tandon kranti
फितरत है इंसान की
फितरत है इंसान की
आकाश महेशपुरी
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
धर्म वर्ण के भेद बने हैं प्रखर नाम कद काठी हैं।
धर्म वर्ण के भेद बने हैं प्रखर नाम कद काठी हैं।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
दिल
दिल
Neeraj Agarwal
24/226. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/226. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तू तो होगी नहीं....!!!
तू तो होगी नहीं....!!!
Kanchan Khanna
तुझको को खो कर मैंने खुद को पा लिया है।
तुझको को खो कर मैंने खुद को पा लिया है।
Vishvendra arya
समय बहुत है,
समय बहुत है,
Parvat Singh Rajput
#दोहे
#दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
बिटिया !
बिटिया !
Sangeeta Beniwal
*घर में तो सोना भरा, मुझ पर गरीबी छा गई (हिंदी गजल)
*घर में तो सोना भरा, मुझ पर गरीबी छा गई (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
*देश के  नेता खूठ  बोलते  फिर क्यों अपने लगते हैँ*
*देश के नेता खूठ बोलते फिर क्यों अपने लगते हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गए थे दिल हल्का करने,
गए थे दिल हल्का करने,
ओसमणी साहू 'ओश'
जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल
जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
The flames of your love persist.
The flames of your love persist.
Manisha Manjari
ये वक्त कुछ ठहर सा गया
ये वक्त कुछ ठहर सा गया
Ray's Gupta
कट गई शाखें, कट गए पेड़
कट गई शाखें, कट गए पेड़
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
कवि रमेशराज
आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
Rj Anand Prajapati
फूल खुशबू देते है _
फूल खुशबू देते है _
Rajesh vyas
*मुश्किल है इश्क़ का सफर*
*मुश्किल है इश्क़ का सफर*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*जिंदगी के अनुभवों से एक बात सीख ली है कि ईश्वर से उम्मीद लग
*जिंदगी के अनुभवों से एक बात सीख ली है कि ईश्वर से उम्मीद लग
Shashi kala vyas
कोई जब पथ भूल जाएं
कोई जब पथ भूल जाएं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...