बेटियां मुझको माफ़ करो..
बेटियाँ मुझको माफ़ करो
करे जतन वो लाख, पहुँच में उसकी न जाना ।
अच्छा होता तू मर जाती,
छिप कोख़ माँ की सो जाती ।
न होता ग़म तेरे होने का,
मेरी गोदी में कभी न खिलखिलाती ।
लाड़ो मैं वलबान बहुत हूँ, इस ग़लती में तू मत रहना ।
करे जतन वो लाख, पहुँच में उसकी न जाना ।।
भूखे भेड़िये घूम रहे हैं,
सुकर की मानिंद तुझे सूँघ रहे हैं ।
मौक़ा गर ये कभी पा जाएंगे,
तुझे नोंच-नोंच कर खा जाएँगे ।
बात टके की है बेटी, तू इसे कभी न भूल जाना ।
करे जतन वो लाख, पहुँच में उसकी न जाना ।
खटके आज़ादी तेरी इनको,
तू घूम रही क्यूँ बेपरवाह ।
दुर्गन्ध भरी है इनके मन में,
लाचार बन गयी है सरकार ।
बिटिया तू भी हो जा खूँखार, सीख तू कत्लेआम करना ।
करे जतन वो लाख , पहुँच में उसकी न जाना ।
अब मैं हूँ लाचार तंत्र से,
तुझे न्याय दिला न पाऊँगा ।
गर फ़ेल हुआ कानून हमारा,
तो मैं जीते-जी मर जाऊँगा ।
“आघात” रहे तेरे साथ सदा, न मंजूर तेरा तन्हा रहना ।
करे जतन वो लाख, पहुँच में उसकी न जाना ।