बेटियां
दिल मे हो
कितना भी दर्द
सब होठो की
मुस्कान में
छुपा लेती है
कितना कुछ
सह लेती है
कभी उफ्फ
भी न करती है
बेटियां ऐसी
ही होती है
और हर किसी
के नसीब में
कहां होती है
बेटियां
जिसका नसीब
में लिखी हो
बेटियां
उसी की
बेटियां होती है
उसके घर को
खुशियों के
चिरागों से
रोशन करती बेटियां
गरिमा
मौलिक
स्वरचित
अप्रकाशित