Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jan 2017 · 1 min read

बेटियाँ

खुशियाँ नहीँ मनाई जाती , क्यों बेटी जब जन्म है लेती ।
हर घर को खुशियोंकाखजाना ,जबकि अधिकतर बेटी देती ॥
ज्यों ज्यों बेटी बढ़ती जाती ,माँ की जिम्मेदारी लेती ।
हरेक पिता की लाडली बेटी ,पिता के दिल की धड़कन होती ॥
फ़िर भी ऐसा क्यों होता है , जनम पे उसके घर रोता है ।
मात पिता को बोझ बताये , उस बेटे पर घर खुश होता है ॥
क्यों बेटी के त्याग का जज़बा ,इस समाज को समझ ना आता ।
क्यों समाज घर की बेटी को ,इस धरती पर बोझ बताता ॥
घर घर में महिला ही केवल ,बेटी की दुश्मन होती है ।
कब समझेगी घर की दादी ,वो भी कभी बेटी होती है ॥

विजय बिज़नोरी

5 Likes · 899 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from विजय कुमार अग्रवाल
View all
You may also like:
आखिर क्यूं?
आखिर क्यूं?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
विजय कुमार अग्रवाल
तुम जो आसमान से
तुम जो आसमान से
SHAMA PARVEEN
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
6-जो सच का पैरोकार नहीं
6-जो सच का पैरोकार नहीं
Ajay Kumar Vimal
जिंदगी में सफ़ल होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि जिंदगी टेढ़े
जिंदगी में सफ़ल होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि जिंदगी टेढ़े
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*
*"देश की आत्मा है हिंदी"*
Shashi kala vyas
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अहसास
अहसास
Dr Parveen Thakur
अपनी समझ और सूझबूझ से,
अपनी समझ और सूझबूझ से,
आचार्य वृन्दान्त
2485.पूर्णिका
2485.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*शिवजी की चली बारात, हम बाराती हैं (भक्ति गीत)*
*शिवजी की चली बारात, हम बाराती हैं (भक्ति गीत)*
Ravi Prakash
अंधा बांटे रेबड़ी, फिर फिर अपनों के देवे – कहावत/ DR. MUSAFIR BAITHA
अंधा बांटे रेबड़ी, फिर फिर अपनों के देवे – कहावत/ DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
कहो तो..........
कहो तो..........
Ghanshyam Poddar
प्रेमियों के भरोसे ज़िन्दगी नही चला करती मित्र...
प्रेमियों के भरोसे ज़िन्दगी नही चला करती मित्र...
पूर्वार्थ
■ एकाकी जीवन
■ एकाकी जीवन
*Author प्रणय प्रभात*
राम
राम
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
आयी ऋतु बसंत की
आयी ऋतु बसंत की
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
नशा
नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
भगतसिंह का क़र्ज़
भगतसिंह का क़र्ज़
Shekhar Chandra Mitra
हड़ताल
हड़ताल
नेताम आर सी
रंगों का नाम जीवन की राह,
रंगों का नाम जीवन की राह,
Neeraj Agarwal
- मोहब्बत महंगी और फरेब धोखे सस्ते हो गए -
- मोहब्बत महंगी और फरेब धोखे सस्ते हो गए -
bharat gehlot
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
Rituraj shivem verma
कलम बेच दूं , स्याही बेच दूं ,बेच दूं क्या ईमान
कलम बेच दूं , स्याही बेच दूं ,बेच दूं क्या ईमान
कवि दीपक बवेजा
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
Rj Anand Prajapati
तुझसें में क्या उम्मीद करू कोई ,ऐ खुदा
तुझसें में क्या उम्मीद करू कोई ,ऐ खुदा
Sonu sugandh
जीवन में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मैं स्वयं को मानती हूँ
जीवन में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मैं स्वयं को मानती हूँ
ruby kumari
कभी नहीं है हारा मन (गीतिका)
कभी नहीं है हारा मन (गीतिका)
surenderpal vaidya
Ab maine likhna band kar diya h,
Ab maine likhna band kar diya h,
Sakshi Tripathi
Loading...