बेटियाँ(शायरी)……
अमृत की धार,प्रेमफुहार हैं बेटियाँ।
कोयल-कूक सुर-सितार हैं बेटियाँ।
माँ-आशीष,पिता-दुलार हैं बेटियाँ,
स्नेह-प्यार-प्रेम आधार हैं बेटियाँ।
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नयन का आँसू,मन का तार-सी।
हृदय का उद्गार,धन का सार-सी।
उज्ज्वल गाथा अभावों की,सुनो!
समय भिन्नरूपा का है आधार-सी।
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कमल की पंखुड़ियों-सी कोमल हैं।
कभी नागफणी-सी तीखी अचल हैं।
पीडा में निखरती भिन्न रिस्ते अपना,
हृदय-पावनी,तन-मन-धन सजल हैं।
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संसार-वैभव-सी,समभाव-निर्मल-सी।
लहराते-आँचल-सी,आँखों-काजल-सी।
सुंदर दर्पण-सी,मानों तुम समर्पण-सी,
कृपण नहीं त्यागमूर्ति दानी-करण-सी।
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गगन में चाँद-सी,चमन में फूल-सी।
सागर में लहर-सी,घर में समूल-सी।
नेकी अर्थी,गुण-समर्थी,त्यागशीला हैं,
मानो पंचतत्व में सर्वोपरि धरती-सी।
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लाज की धात्री,मान की आधारशिला।
संबधों का है सार,प्रेम का काफिला।
राखी की चमक,बिन्दिया का संसार,
बेटियाँ तो हैं सर्वगुण संपन्न सबप्रकार।
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●●●●●राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
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