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23 Feb 2017 · 1 min read

बेंटियों पर क्या लिखू

बेंटियों पर क्या लिखूँ ,
लिख चुके हजारों लोग।
दें दी सारी उपमा ,
कम पड़ा शब्दकोश।
लिखनें को कुछ नही,
पुछने मन करता है।
ढ़ेर रचनाओं के वाद,
क्यो नहीं समाज बदलता है।
क्यो कवितायें है फेंल,
प्रेरणा और व्यवहार में।
कवित्त क्यो न झकझोर सका,
जनमानस को स्वप्न मे।
अब कवि प्रेरक बन जावें,
लिखें नहीं करके दिखलावें।
लोकरीत की कर उपेक्षा,
बेंटियों को आगें लावें।
अपने ही घर से बेंटियों को,
भारतीयता का बोध करावें।
संस्कृति ने बेंटी को,
कन्या रत्न कहा है।
रत्नों की तरह सम्हालना,
देश धर्म सदा है।
बेटी को दो ज्ञान,
न बनें पाश्चात्य गर्ल।
बेंटी से ही बचेंगी भारतीय शक्ल।
जब तलक बेंटियों में,
सीता सावित्री का वास है।
लाख जतन दुश्मन करे,
अटल अस्तिव हिन्दुस्तान है।

Language: Hindi
334 Views
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