बूंद सी जिन्दगी
विधा-छन्दमुक्त
बूंद सी जिंदगी ख़ुशी से गुजारा करो
चिराग बनकर जग में उजाला करो।
इंसान गलतियां अक्सर कर जाता है
अपनी गलतियों बार-बार सुधारा करो।
बूंद- बूंद से जिंदगी के समंदर में
अपनी नाव से औरों को भी पार उतारा करो।
बूंद सी जिंदगी को सीप में गिराकर
गहरे पानी से मोती निकाला करो।
बूंद सी जिंदगी पड़ने दो जमीं पर
हरी -भरी धरती को और भी प्यारा करो।
नूरफातिमा खातून नूरी