भ्रष्ट होने का कोई तय अथवा आब्जेक्टिव पैमाना नहीं है। एक नास
अब किसी की याद पर है नुक़्ता चीनी
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
हिन्दी दोहा बिषय- तारे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
क्या चाहती हूं मैं जिंदगी से
अब कुछ चलाकिया तो समझ आने लगी है मुझको
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – पंचवटी में प्रभु दर्शन – 04
'बुद्ध' ने दिया आम्रपाली को ज्ञान ।
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
💐प्रेम कौतुक-509💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
■ एक स्वादिष्ट रचना श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूर्व संध्या कान्हा जी के दीवानों के लिए।