बुराई को संबल क्यों……..?
बुराई का बोलबाला व प्रबलता इस लिए अधिक होती है क्योकि भलाई के पक्षधर इसका विरोध करने के अपेक्षा इससे दूरी बना लेने में ही अपना भला समझ लेते है।
और बुराई हावी होती चली जाती है।
किन्तु यह ठीक नहीं,
तो आइये प्रण करे भलाई करते रहने के साथ-साथ हम बुराई का भी पुरजोर विरोध करेंगे । आरक्षण, बेरोजगारी, घुसखोरी, दहेज प्रथा, बाल विवाह, नारी उत्पीड़न, भ्रूणहत्या, भ्रष्टाचार ये तमाम वहीं बुराईयां है जिनसे गाहे – बगाहे हम दो चार होते ही रहते हैं।
इनमें कुछ ऐसी हैं जिनसे प्रत्यक्ष रूप से तो कुछ से अप्रत्यक्ष रुप से हम रुबरु होते हैं, किन्तु जब बात आती है विरोध की हम अपना पल्ला झाड़ इस कारण अलग हो जाते हैं कि कौन जाय मुफ्त का मुसीबत मोलने, और यही वो अहम पल होता है जहाँ से बुराई को संबल मिलता है प्रखरता के साथ समाज में अपना जड़ और मजबूत करने का।
एक और पहलू है सोचने और समझने का और वह पहलू हैं आप खुद ……..सोचें समझें जो उचित लगे उस पथ स्वतः आगे बढ़े।
आप अपना मित्रः–
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”