बुराई का बोलबाला
बुराई का बोलबाला
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मुखौटा ओढकर हमको सत्य के साथ क्या चलना!
बुराई बढरही औकात, किसी से बात क्या करना!!
सुना था संग चलना सत्य, के हीं नाम होता है
अगर कुछ कर गये उलटा, बुरा अंजाम होता है
अभीतक हम नहीं समझे अमा यह बात है कैसी
बुराई के ही पथ पर चल , यहाँ सब काम होता है
बुराई से मिले जो नाम, भले के संग क्या चलना!!
बुराई बढरही औकात, किसी से बात क्या करना!!
जमाने में भले का राज, वस कुछ बार होता है
बुराई जो करे दिल से, वही सरकार होता है
इसे तूं सत्य कहो मिथ्या, मगर ऐ बात ही ऐसी
संग जो सत्य के चलते, आज गुमनाम होते हैं
बूराईकर मिले सम्मान,भले का काम क्या करना!!
बुराई बढरही औकात, किसी से बात क्या करना!!
तूं माने या नहीं माने, भला कर पुण्य होता है
किया जो पाप जीवन में,भला कर शुन्य होता है
भले से मोक्ष मिलता है , यही एक रीत है ऐसी
भला निन्दित नही होता , भले का मान होता है
भलाई से मिले जो पुण्य , बुरे के संग क्या चलना!!
बुराईबढ रही औकात, किसी से बात क्या करना!!
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? पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
?? ग्राम + पो.- मुसहरव(मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार – ८४५४५५
? ९५६०३३५९५२
शुभ प्रभात