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18 Jul 2020 · 1 min read

बुना है ख़्वाब स्वेटर-सा

बुना है ख़्वाब स्वेटर-सा, पहन लो इसको तुम दिलबर
जचेगा खूब ये तुम पर, दुआएँ देंगे जी भरकर

बयां कैसे करें शर्मों-हया है उनकी आँखों में
ज़ुबां से कह न पाया जो, कहूँगा बात वो लिखकर

तमन्नाओं की, हसरत की, अलग दुनिया बसाई यों
कभी बिजली जो कड़केगी, सिमट जायेंगे हम डरकर

ज़माने की हवाओं में, कभी भी मैं न बहकूँगा
हमेशा ही यहाँ अब मैं, चलूँगा लीक से हटकर

सताओ मत जवानी में, मुहब्बत कर भी लो साहब
चले जाएँ जो दुनिया से, कहाँ आयेंगे फिर मरकर

‘महावीर’ ये जो हस्ती है, असर है सब दुआओं का
खड़ा हूँ आज मैं यारो, ज़माने से ज़रा हटकर

1 Like · 180 Views
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Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
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