बुआ जी का अर्थशास्त्र
बुआ जी का अर्थशास्त्र
दो मित्र, बतियाते हुए चल पड़े। थोड़ी दूर पर बुआ जी का घर था। दोनों ने निश्चय किया कि, पहले बुआ जी का हालचाल पता करते हैं ,फिर चिड़ियाघर चलते हैं। ग्रीष्म अवकाश था ,इसलिए यह डर नहीं था, कि बुआ जी अनायास आने का कारण पूछेंगीं। दोनों शनैः शनैः बुआ जी के घर पहुंचे।
बुआ जी ,अर्थशास्त्र की शिक्षिका थी, उनका रोबीला रूप व स्वर, अच्छे-अच्छे को पानी पिला देता था ।दोनों मित्रों ने बुआ जी के चरण स्पर्श किये व अपना अपना स्थान बुआ जी के आदेश से ग्रहण किया, क्योंकि, शिष्टाचार यही कहता है।
बुआ जी ने पूछा , संजय तुमने सब पढ़ लिया ?
प्रवीण ,संकोची स्वभाव का लड़का था ,अतःउसने जिज्ञासा वश संजय की ओर देखा।
संजय ने बड़े धैर्य के साथ कहा,
बुआ सब पढ़ लिया केवल भारत माता का चैप्टर छोड़कर।
बुआ ने कहा, सब पढ़ लिया, भारत माता जी या भारत माताँ।बुआ जी ने संशय करते हुए कहा।
संजय ने बड़े इत्मीनान से कहा,
भारत माता ,जी हैं या नहीं। पता नहीं।
बुआ जी ने कहां हां आजकल यूनिवर्सिटी में भारत माता के विषय में पढ़ाया नहीं जाता ।इसी कारण भारत माता के सम्मान को ठेस पहुंचती है और उनकी अवमानना होती है। लोग कैसे जानेंगे कि भारत माता जी हैं, या भारत माता।
संजय ने कहा , आजकल जनसंख्या बढ़ गई है ,जिसके कारण थोड़ा थोड़ा संशय बढ़ जाता है ।
बुआजी ने कहा, जनसंख्या वृद्धि का कारण क्या है? संजय!
बुआ जी, गरीबी इसका मुख्य कारण है। इसी कारण बच्चा सब विद्यालय छोड़कर रोजगार ढूंढता है ।
बुआ जी ने कहा , संजय आजकल बिस्कुट मिलता है?
संजय ने कहा, काहे नहीं खूब मिलता है। बाजार में ढेरों पड़ा है। किन्तु बिकता ही नहीं है ।
संजय ने बड़प्पन दिखाते हुए कहा, आजकल बाजार
बहुत मंदा हो गया है। जीडीपी बहुत गिर गया है अब बिस्कुट खरीदने के पैसे भी नहीं है बुआ, लोगों के पास ।
बुआजी, तुम बिस्कुट बेचोगे ।दुकान खुलवा दें ?बुआ जी ने व्यंग्य में कहा।
संजय ने एक अर्थ शास्त्री की तरह कहा, नहीं बुआ बाजार मंदा है , बेरोजगारी बहुत है ।अब लोगों के पास बिस्कुट खरीदने के पैसे नहीं हैं।बेचेंगे क्या ? अचार डालेंगे ।
बुआ जी ने उसकी समझदारी की प्रशंसा करते हुए कहा,
वाह संजय ,तुम वास्तव में समझदार हो गए हो।
बुआजी ने फिर कहा, प्रवीण से कहा, बिस्कुट खाओगे प्रवीण?
प्रवीण ने धीमे स्वर में कहा, बुआ जी घर से चलते समय पापा ने कहा था। बिस्कुट खा कर जाना, सो हम लोग बिस्कुट खा कर आये हैं।
अब चलते हैं बुआ, चिड़ियाघर जाने का समय हो रहा है ।चल संजय उठ ना।
संजयऔर प्रवीण दोनों खुशी-खुशी चिड़ियाघर जाने के लिए तैयार हो गये। बुआ जी का चरण स्पर्श करके दोनों ने आशीर्वाद लिया।
मित्रों ,आर्थिक मंदी और बेरोजगारी दोनों शिक्षा के निम्न स्तर के कारण एक दूसरे के पर्याय बन गये हैं । अशिक्षा के कारण जनसंख्या वृद्धि होती है, और जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी । बेरोजगारी का परिणाम आर्थिक मंदी होता है। देश आपका है ,समस्याएं आपकी हैं ।सोच समझकर शिक्षा का प्रसार करें, और कष्टों से मुक्ति पाये।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, “प्रेम”