२३जून२०२१*बी टी डब्ल्यू डब्ल्यू की टिक्की को, मन डोला है मेरा*।
विषय:अच्छे दिन/सुख के दिन
विधा: गीत
छंद-सार छंद१६+१२=२८
आशाओं के दीप जलेंगे,होगा पुनः सवेरा।
कोरोना से हम जीतेंगे, टूटेगा यह घेरा।।
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माॅलों में फिर रौनक होगी,घर-घर हो खुशहाली,
कोरोना का दंश मिटेगा, रौनक होय निराली।
काल चक्र के कुतिलिस्म का,बदलेगा यह फेरा।
कोरोना से हम जीतेंगे, टूटेगा यह घेरा।।
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लौटेंगे फिर से दिन सुख के,शादी ब्याह रचेंगे।
शहनाई की तान बजेगी,सब फिर मौज करेंगे।
फिर लौटेंगे अच्छे दिन, होगा धवल उजेरा।
कोरोना से हम जीतेंगे, टूटेगा यह घेरा।।
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बच्चे ,बूढ़े और जवां भी, ताजी सांस भरेंगे।
और पार्क में सब मिलजुलकर, बैठें गप्प करेंगे।।
योगा का फिर से लागेगा,पार्क-पार्क में डेरा।
कोरोना से हम जीतेंगे, टूटेगा यह घेरा।।
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शापिंग करने में भी हम सब,बिल्कुल नहीं डरेंगे।
गोल-गोल पानी पूरी का, फिर से स्वाद चखेंगे।
छुट्टी लेकर फिर से होगा, मेला सैर सपाटा।
खा खाकर अब ऊब चुके हैं,घर में रोटी-आटा।
बी टी डब्ल्यू की टिक्की को, मन डोला है मेरा।
कोरोना से हम जीतेंगे, टूटेगा यह घेरा।।
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?अटल मुरादाबादी ?