*** बीज नेह के बो गया ***
नेह की हवा कुछ यूं बही, जिगर बागबा हो गया।
क्या नाम दूं तुझे, होना था बस हो गया
यो ही महकाते रहना, हमसफ़र सफर मेरा,
तेरी हां तेरी ही आगोश में ,मैं तो खो गया।।
जब जब निकला गलियों से तेरी,तू भी तो उसके साथ चला।
रग रग में बसा था तू, हर घड़ी था अब यही सिलसिला।
जमाना तो बहुत हंसा मुझ पे,
चैन की बजा बंशी, मै बेफिक्र हो गया।
जमाने तेरे लिए मै, बीज नेह के बो गया।।
ना छोडूंगा न तोडूंगा तेरी सांसो की सरगम।
लबों से नाम ले ले के , शुकुं से मै तो सो गया।
जमाने तेरे लिए मैं, बीज नेह के बो गया।।
ना रोको राह को मेरी, बनो ना कोई मेरे बेरी।
अनुनय सीख मै तो सभी को, यही दे गया।
जमाने तेरे लिए मैं, बीज नेह के बो गया ।।