बिहार की भोली भाली नादान जनता
बिहार चुनाव का परिणाम आ चुका है जिसमें NDA को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ है और महागठबन्धन को पुनः विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए बिहार की जनता ने सज्ज किया है । इस चुनावी परिणाम के साथ ही लगातर 15 वर्ष बिहार के मुख्यमंत्री रहे नितीश कुमार सायद पुनः बिहार के विकासी घोड़े की लगाम संभालेंगे।
2020 बिहार विधानसभा चुनाव के समय देखा गया कि जनता बिहार में बदलाब के लिए उतारू थी जो समाचार चैनल पर बिहार की जनता द्वारा दिए बयानों से दिखता था । जिसमें बिहार की जनता निवर्तमान मुख्यमंत्री नितीश कुमार से नाराजगी जाहिर करते हुए दिखते थे और लालू जी के सुपुत्र तेजस्वी यादव की तरफ रुख अख्तियार करते दिखते थे और यही रुख समाचार चैनलों ने भी अपने एग्जिट पोल में दिखाया किन्तु जिस तरह भाग्य का किसी को नही पता होता उसी प्रकार चुनावी परिणाम भी सभी केलकुलेशन से अलग ही होता है ।
किन्तु इस चुनाव के परिणाम से दिखता है कि बिहार की जनता अभी भी बहुत भोली है और बहुत नादान है। भले ही देश के स्तर पर बिहारी लोगो को सियाना और राजनितिक स्तर पर बहुत जागरूक समझा जाता है। बिहार की जनता फाइल विकास पुरुष नितीश कुमार के काम से नाराज थी और वह बदलाब चाहती थी अर्थात नितीश के जगह और कोई सीएम जिससे वो भविष्य की उम्मीदें ज्यादा लगा सके ऐसा परिणाम चाहती थी और उन्होंने वोट भी इसी प्रकार ही दिया तभी नितीश कुमार की पार्टी तीसरे नम्बर पर सिमट गयी ।
किन्तु वोट करते समय भोली बिहारी जनता भूल गयी कि वह जिसे वोट कर रहें है वो उसी फाइल विकास पुरुष नितीश कुमार के बड़े भाई को वोट कर रहे हैं जिसने बिहार की जनता के सामने स्पष्ट रूप से कहा और हर चुनावी रैली में भी कहा कि हम चुनाव नितीश कुमार के नेतृत्व में लड़ रहे हैं और नितीश कुमार ही हमारे सीएम होंगे , अर्थात जिस साहूकार को गली से निकाला उसी गली में साहूकार के बड़े भाई को रहने के लिए घर दे दिया । अर्थात बिहार की जनता ने अपनी नाक को सीधा ना पकड़कर घुमाकर पकड़ लिया । ये नादानी तो सच में ही नादानी है।
रही बात मोदी जी की लोकप्रियता की तो बिहार की जनता के पास एक और विकल्प था जो NDA का ही गठक दल है अर्थात लोजपा जिसके ऊपर जंगलराज के युवराज का भी ठप्पा नही है और ना ही किसी भृस्टाचार का । इसके बदले रामविलास पासवान को तो जन नेता माना जाता है और उनकी पृष्ठभूमि भी सामान्य स्तर की है। और चिराग पासवान ने तो स्वयं को भी मोदी जी का हनुमान बताया था अर्थात मोदी जी को श्री राम ।
अतः बिहार की जनता के पास बदलाब का भी विकल्प था और मोदी जी को वोट देने का विकल्प भी। अर्थात लाठी भी ना टूटती और सांप भी मर जाता (केबल एक कहावत के तौर पर ही लिया जाय) अर्थात नितीश का विकल्प नया युवा मुख्यमंत्री चिराग पासवान होता और मोदी के नेतृत्व में मोदी जी का हनुमान बिहार का विकाश करता और रामराज्य बनाता।
किन्तु गाँव की कहावत , जिस सास से न्यारी हुई वही सास बट में आ गयी , बिहार की जनता के सामने सिद्ध हो गयी।और मोदी जी ने बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए पुनः नितीश कुमार को नामित कर दिया, फिर फाइलों पर विकास पुरुष 5 साल के लिए अपनी छाप छोड़ने के लिए पुनः तैयार ।
सच में बिहार की जनता बहुत भोली और नादान है।