— बिल्ली
रिश्ता मानव का मानव से होता है,
एक दोस्त का दूसरे दोस्त से होता है,
रिश्ता खून से खून का होता है।
रिश्ता दिल से नहीं,दिमाग से नहीं
ये रिश्ता प्यारे अहसास का है,
नहीं है इसका कोई नाम,
नहीं इसका कोई दाम,
ना ही इसका कोई मोल,
बस बड़ा है अनमोल।
रोज सुबह-शाम वो
मेरे घर की छत पर आती है…
समझ इतनी जैसे हो कोई इंसान वो
ना ही शैतानी,ना करती परेशान वो.
म्याऊं -म्याऊं कर मधुर बोली
वो मुझको आवाज लगाती है….
एक प्याला दूध पीकर वापिस
अपने ठिए चली जाती है …
कभी मैं नहीं दिखती उसको
म्याऊं म्याऊं कर पूरे घर में
चक्कर लगाती है…
दिख जाती जब मैं उसको
छत पर जा वहीं बैठ जाती…..
पीकर दूध फिर चली जाती
अब तो मुझे को भी उसकी
आदत हो गई…
नहीं आती कभी वो
तो उसकी चिंता मुझे सताती….
घर के आसपास मेरी आंखें
उसे ढूंढती….
दिख जाती मुझको जब वो
खुश मैं अपने आप को पाती…
रोजाना उसका आना और
जाना,,, दूसरे दिन फिर से वापिस आना
लगता मुझे ये हमारा प्यारा दोस्ताना।।।।