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26 Jul 2018 · 1 min read

बिन तुम्हारे जियूँगी मैं कैसे सजन

तुमको प्राणों से प्यारा था अपना वतन
ओढ़ा तुमने तभी है तिरंगा कफ़न
इतना तो मुझको देते जरा सा बता
बिन तुम्हारे जियूँगी मैं कैसे सजन

उठ रहा तेज़ मन में तो तूफान है
गोद मे मेरे ये नन्हीं सी जान है
रखना विश्वास रोने न दूँगी इसे
और कमी कोई होने न दूँगी इसे
पर बड़े हो के पापा पुकारेगी जब
मैं अकेली करूँगी ये कैसे सहन
बिन तुम्हारे जियूँगी मैं कैसे सजन

जानती हूँ न रोना मुझे चाहिये
अपना आपा न खोना मुझे चाहिये
गर्व है मुझको तुम पर बहुत है मगर
रो पड़ी दर्द माँ बाप का देखकर
आ रहा है समझ आज मुझको नहीं
कैसे अर्पण करूँ आखिरी मैं नमन
बिन तुम्हारे जियूँगी मैं कैसे सजन

26-07-2018
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
Tag: गीत
226 Views
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