बिटिया हमारी
-: बिटिया हमारी :-
अभिश्राप नही है जग को
एक अनमोल वरदान है नारी
बेटा अगर है चिराग घर का, तो
रोशनी की किरण है बिटिया हमारी
अंधकार जग का मिटा दिया
रहकर खुद अंधकार में
बेटियों से ही तो चलता आया
जीवन चक्र ये ,संसार में
जिससे चलता सबका वंश
वो खुशियों की सौगात बिटिया हमारी
चाहक उठती कोयल सी बोली
है देवी सी सूरत , भोली – भोली
धन की लक्ष्मी, ममता की मूरत
हर देवी का वास इसकी झोली
गर्व से सीना ऊंचा करती बाबुल का
ऐसी ही तो है बिटिया हमारी
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