बासंती मौसम है आया
“गीत ”
छंद : चौपाई (१६ मात्रा )
बासंती मौसम है आया,
चिड़ियों ने कलरव नव गाया।
कलियों पर भौरें मँडराते ,
गुंजन स्वर में गीत सुनाया।।
बासंती मौसम है आया——-
पतझड़ पेड़ों पर हरियाली ,
चहक उठी हर डाली डाली।
वन उपवन में सुमनखिलें है।
कलियों परयौवन अब छाया।
बासंती मौसम है आया—–
छिटक रही है धूप गगन में ,
जाग उठी एक लगन मन में।
मन के तारों में हलचल है ,
यह मौसम हिय को अति भाया।
बासंती मौसम है आया——
मन मेरा नाही काबू में ,
जब से मेरे मीत मिलें हैं।
मन मंदिर में इक सूरत है,
स्वांसों में मधु गीत घुले हैं।
छूट रहा अब मेरा साया।
बासंती मौसम है आया——
जी करता पंछी बन जाऊँ ,
प्रीतम की गलियां हो आऊँ।
वक्त बड़ा बेदर्दी निकला ,
पैरों मैं पग-बंद लगाया।
बासंती मौसम है आया——