बाल मनोविज्ञान
बाल मनोविज्ञान
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बच्चों का मनोविज्ञान बड़ो से बिल्कुल अलग होता है।बच्चों को समझने उनके भावों विचारों और चिंतन को समझना बहुत कठिन है।
बच्चों की सोच एकदम अलग होती है।उनका मनोविज्ञान बड़ों से एकदम अलग होता है।उनके मनोविज्ञान को समझने के लिए हमें बच्चा बनकर उनके स्थान पर रखकर हमें विश्लेषण करना होगा, समझना होगा।अपने समय के माहौल,हालात,परिस्थितियों के बजाय वर्तमान परिदृश्य पर नजर रखकर ही हम बच्चों का दृष्टिकोण समझ सकते हैं।सबको पता है कि बच्चों का यह स्वभाव जग जाहिर है कि जिस बात को हम उन्हें मना करते हैं,वही करने की उत्कंठा उनमें सबसे प्रबल होती है।
अतः हम बच्चा बनकर महसूस कर ही उनको और उनके मनोविज्ञान को बेहतर ढंग से समझ पायेंगे।
★सुधीर श्रीवास्तव