बाल दिवस — बचपन आओ!!
चौदह नवम्बर बाल दिवस,दिवाली भी थी आई।
आज याद आया बचपन,भूल गया था कल भाई।
जग में भारत देश ही ऐसा,जहां हर दिवस त्योहार है।
हम सब चाहे,सुख शांति,सारे जग की भलाई।।
न मन में मेल,सारे दिन बस खेल ही खेल।
निश्छल मन ,न ही अनबन, बालपन में कहां लड़ाई।।
गुड्डे गुड्डी,खेल खिलौने,लगते सबसे प्यारे।
शिशु का संसार यही ,,सबकी आंख के तारे।
न कोई खटपट, पड़ लेते झटपट,थोड़ी थोड़ी पड़ाई।।
बचपन आओ,उलझन सुलझाओ,याद तुम्हे करु।
अनुनय बड़ती उम्र में भी,बचपन सा रूप धरू ।।
अहंकार अन्याय छोड़ दूं, करूं न कभी लड़ाई।।
राजेश व्यास अनुनय