Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2017 · 1 min read

बाल दिवस का ओचित्य क्या है?

जहाँ बेबस माओं के आँचल से ,
मासूम बच्चे छीन कर मौत के हवाले कर दिए जाएँ.
जहाँ बेसुध माँ की कोख में ही ,
कन्या -भ्रूण को मिटा दिया जाये .
जहाँ नवजात शिशु सड़कों /गटरों / कचरे के डब्बों में ,
में अधमरी अवस्था में कचरा समझकर फेंक दिया जाये .
जहाँ मासूम /अबोध बालक/बालिकाओं के साथ ,
अश्लील दुराचार कर उनका बचपन और जीवन नष्ट कर दिया जाये.
फिर ऐसे में क्या लाभ बाल दिवस मनाने का ?
भला जिस भारत वर्ष में उसका भविष्य ही सुरक्षित व् सुखी नहीं ,
उस देश में क्या ओचित्य है बाल दिवस मनाने का ?

Language: Hindi
1 Like · 319 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
Sahil Ahmad
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
Dr Tabassum Jahan
***संशय***
***संशय***
प्रेमदास वसु सुरेखा
समय
समय
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रिये
प्रिये
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोहा -स्वागत
दोहा -स्वागत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
■ सबको पता है...
■ सबको पता है...
*Author प्रणय प्रभात*
जिंदगी एक सफर
जिंदगी एक सफर
Neeraj Agarwal
छोड़ दिया किनारा
छोड़ दिया किनारा
Kshma Urmila
"जब शोहरत मिली तो"
Dr. Kishan tandon kranti
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
डी. के. निवातिया
कुछ तो होता है ना, जब प्यार होता है
कुछ तो होता है ना, जब प्यार होता है
Anil chobisa
Pollution & Mental Health
Pollution & Mental Health
Tushar Jagawat
प्रेम पर्व आया सखी
प्रेम पर्व आया सखी
लक्ष्मी सिंह
I would never force anyone to choose me
I would never force anyone to choose me
पूर्वार्थ
दोहे-*
दोहे-*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*राम मेरे तुम बन आओ*
*राम मेरे तुम बन आओ*
Poonam Matia
तारीफ क्या करूं,तुम्हारे शबाब की
तारीफ क्या करूं,तुम्हारे शबाब की
Ram Krishan Rastogi
पड़े विनय को सीखना,
पड़े विनय को सीखना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मित्रता के मूल्यों को ना पहचान सके
मित्रता के मूल्यों को ना पहचान सके
DrLakshman Jha Parimal
कविता -
कविता - "बारिश में नहाते हैं।' आनंद शर्मा
Anand Sharma
चिड़िया बैठी सोच में, तिनका-तिनका जोड़।
चिड़िया बैठी सोच में, तिनका-तिनका जोड़।
डॉ.सीमा अग्रवाल
हैप्पी प्रॉमिस डे
हैप्पी प्रॉमिस डे
gurudeenverma198
शुरुवात जरूरी है...!!
शुरुवात जरूरी है...!!
Shyam Pandey
*पत्थर तैरे सेतु बनाया (कुछ चौपाइयॉं)*
*पत्थर तैरे सेतु बनाया (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
* चली रे चली *
* चली रे चली *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुफ्त राशन के नाम पर गरीबी छिपा रहे
मुफ्त राशन के नाम पर गरीबी छिपा रहे
VINOD CHAUHAN
Destiny
Destiny
Sukoon
अधिकार जताना
अधिकार जताना
Dr fauzia Naseem shad
ये पीढ कैसी ;
ये पीढ कैसी ;
Dr.Pratibha Prakash
Loading...