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27 Mar 2019 · 1 min read

बाल गीत

उठो सुतक्कड़ !

उठो सुतक्कड़ !
भोर हो गया
चिडियों के घर
शोर हो गया

ओस चली है गंग नहाने
शंकर जी को दूध चढ़ाने
मगन घाट का छोर हो गया
उठो सुतक्कड़ !
भोर हो गया

पेड़ों के हैं पत्ते जागे
पंजे-छक्के सत्ते जागे
मौसम भी कुछ मोर हो गया
उठो सुतक्कड़ !
भोर हो गया

बाँस लगे हैं बीन बजाने
ईख चली है परची लाने
दौड़ा-दौड़ी ठोर हो गया
उठो सुतक्कड़ !
भोर हो गया

आगा-तागा आगे आओ
कुंभकर्ण को कुछ समझाओ
सूरज ऊपर ओर हो गया
उठो सुतक्कड़ !
भोर हो गया

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ

Language: Hindi
567 Views
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