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19 Apr 2018 · 1 min read

बाल कुण्डलिया

जंगल मे फिर से लगा , बड़ा एक दरबार
खड़े शेर के सामने, बिल्ली करे गुहार
बिल्ली करे गुहार, बँधी ये घण्टी खोलो
करे न मुझको तंग,मूषकों से ये बोलो
हँसकर बोला शेर, नहीं कम तू भी छल में
होता है कानून, नहीं कोई जंगल में

20-03-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

382 Views
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