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27 Nov 2019 · 2 min read

बाला

बाला
——–
हर अमीरचंद के पास दौलत नहीं होती !
हर रामलाल के दिल में राम की भक्ति नहीं होती !
हर नेकचंद के इरादों में नेकी नहीं होती !
हर ठगीचंद के मन में ठगने की हसरत नहीं होती !
हर खुशहाल चंद के जीवन में खुशहाली नहीं होती !
बस,
ठीक उसी प्रकार,
हर बाला के सिर पर बाल भी नहीं होते !
जी हां , बाला , पिछले हफ्ते रिलीज़ हुई आयुष्मान खुराना की फिल्म बाला , जो कामयाबी के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है . और करे भी क्यों न ?
क्योंकि विषयवस्तु जनमानस से जुड़ी हुई जो है . सदियों से ही पुरुषों में सिर के बाल झड़ना एक ऐसी समस्या है जिसका कोई निदान नहीं है सिवाय हेयर ट्रांस्प्लांट और विग के !
आमतौर पर इस समस्या से ग्रसित हर व्यक्ति खुद को हीन समझने लगता है , लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए .
हमें समझना चाहिए कि जो चीज हमारे हाथ में है ही नहीं उसके होने या न होने पर सुखी या दुखी होना बनता ही नहीं न !
हां लेकिन जो हमारे हाथ में है उससे हम खुद को इस दुनिया में बेहतर स्थापित कर सकते हैं , जैसे अपना व्यवहार और संपूर्ण व्यक्तित्व !
मुझे लगता है कि शायद यही सबसे महत्वपूर्ण है न कि सुंदरता का कोई अन्य बाह्य मापदंड !
फिल्म में इसी विषय को बड़ी खूबसूरती से फिल्माया गया है !
क्योंकि यह फिल्म उस हर पुरुष की फिल्म है जो कहीं न कहीं इस समस्या के चलते हीन भावना से ग्रस्त हैं .
तो उठिए , जाइए , फिल्म देख कर आइए और फिर निश्चिंत हो जाइए क्योंकि केवल आप अकेले ही नहीं हैं और भी कई हैं आपके साथ .
वैसे सच पूछो तो मैं आजकल बालिवुड सिनेमा के इस नए ट्रैंड से बहुत खुश हूं जो अब परीलोक केे सपने न दिखाकर इसी लोक में जीवन को बेहतर करने की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है !

उस साथ का आनंद उठाइए !
-Sugyata
#bala #ayushmankhurana

Language: Hindi
Tag: लेख
252 Views
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