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12 Jul 2017 · 1 min read

बारिश

ये बारिश की बूंदे जो भिगो देती हैं,
तेरी यादों को दिल में पीरो देती हैं,
हँस के करते हैं याद पर ये रूला देती हैं,
तेरी यादें क्यों हमको ये सजा देती हैं,
अगर मैं पास आना चाहूँ भी कभी तेरी आदते आने देती नहीं,
क्या कभी तुम्हें ऐहसास होता नहीं,
अपनी गलतियों की मुझको सजा देती हो,
ये कैसा फर्ज है जो अदा करती हो,
चाह कर भी न मैं तुमसे मिल पाता हूँ,
न जाने कैसे में जी पाता हूँ,
तुम समझती क्यों नहीं मैं तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ,
तुम्हारे इन्कार पर भी मैं ऐतबार करता हूँ!!
अभिनव

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