Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Feb 2019 · 2 min read

बाबू जी की मुस्कान

“संध्या ने अपनी पूरी जिन्दगी घर के देखभाल और घर को बनाने में गुजार दी । मैं तो बस आफिस में चपरासी था । इस तनख़्वाह में दो बच्चों का पालन पोषण , पढाई , बीमारी सब कुछ संध्या ने संभाला ।”
इतना होने पर भी रमाकान्त की आदत हमेशा खुश रहने की
थी ।
सोचते सोचते रमाकान्त को झपकी सी लग गई।
तभी रमेश ने कहा :
” पिता जी चाय पी लीजिऐ ।”

रमाकान्त पलंग पर सिर टिका कर बैठ गये।
संध्या की तेरहवीं हो गई थी । मेहमान जा चुके थे केवल रमेश, सुरेश ही अपनी पत्नियों के साथ रूके थे
रमाकान्त की आदत थी कि जो भी रमा की चीजें थी उन्हे एक बक्से में रखते थे यादों के तौर पर ।
रमेश , सुरेश और उनकी पत्नियों को भी मालूम था कि :
” पिता जी ही माँ की चीजें इस बक्से में रखते है इसमें जेवर बैंक की जमा पासबुक भी हो सकती है ।”
रमेश और सुरेश की पत्नियां चाहती थी यह बक्सा खुल जाऐ लेकिन बाबू जी ने बक्सा नही खोला ।आखिर दोनों चले गये ।
रमाकान्त अकेले रह गए और संध्या की यादों मे दिन कांटने
लगे । वह सोच रहे थे :
” माँ बाप एक एक तिनका जोड कर घरोंदा बनाते है और जब बच्चे बडे हो जाते है तब बच्चे मा बाप का आशीर्वाद लेने के बजाय, उनको बोझ समझते है ।”
रमेश और सुरेश ने जाने के बाद रमाकान्त की कोई सुध
नही ली ।
बीच बीच में जब संध्या की याद आती तो बक्सा खोल कर उसमें रखा सामान देख लेते ।

एक दिन रमेश और सुरेश को पडोसियों से रमाकान्त के देहान्त की खबर मिली तब दोनों पत्नियों के साथ फिर आ गये। उनको उत्सुकता उस बक्से की थी जो बाबूजी ने अपने पास रखा
था।
आखिर बाबूजी के जाते हो और दोनों बेटो बहूओ ने बक्सा खोल कर देखा :
” उसमें टूटी हुई चप्पले और बाबूजी के हाथ का लिखा हुआ कागज था :
जिसमे लिखा था
” बेटा हम बहुत गरीब है और तुम लोगो को पढाने और घर चलाने के लिए तुम्हारी माँ ने घर घर बरतन माँझ कर , कपडे धो कर और रोटी बना कर, दो पैसे कमाए है , बेटा इन चप्पलो से बहुत लम्बा सफर तय किया है । सम्पत्ति के नाम पर यह दे कर
जा रहा हूँ । ”

लड़को ने माँ की चप्पलो को कूडे में फैक दिया और बड़बड़ाते हुऐ अपने अपने घर निकल गये :
” फालतू हम इतना पैसा खर्च कर के यहां आऐ , इनका अंतिम संस्कार तो पडौसी ही कर देते ।”
लेकिन बाबूजी फोटो में अपनी आदत के अनुसार अब भी मुस्कुरा रहे थे ।

स्वलिखित
लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
572 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
परिवर्तन विकास बेशुमार
परिवर्तन विकास बेशुमार
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"महान गायक मच्छर"
Dr. Kishan tandon kranti
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता
Binit Thakur (विनीत ठाकुर)
नौका विहार
नौका विहार
Dr Parveen Thakur
स्वयं अपने चित्रकार बनो
स्वयं अपने चित्रकार बनो
Ritu Asooja
बेशक खताये बहुत है
बेशक खताये बहुत है
shabina. Naaz
*हैप्पी बर्थडे रिया (कुंडलिया)*
*हैप्पी बर्थडे रिया (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
তুমি সমুদ্রের তীর
তুমি সমুদ্রের তীর
Sakhawat Jisan
भूख-प्यास कहती मुझे,
भूख-प्यास कहती मुझे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दृढ़ निश्चय
दृढ़ निश्चय
विजय कुमार अग्रवाल
*मैं वर्तमान की नारी हूं।*
*मैं वर्तमान की नारी हूं।*
Dushyant Kumar
प्रेम.....
प्रेम.....
शेखर सिंह
माँ तुझे प्रणाम
माँ तुझे प्रणाम
Sumit Ki Kalam Se Ek Marwari Banda
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
*पानी केरा बुदबुदा*
*पानी केरा बुदबुदा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जय अम्बे
जय अम्बे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*** लहरों के संग....! ***
*** लहरों के संग....! ***
VEDANTA PATEL
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
इश्क में डूबी हुई इक जवानी चाहिए
इश्क में डूबी हुई इक जवानी चाहिए
सौरभ पाण्डेय
मिष्ठी रानी गई बाजार
मिष्ठी रानी गई बाजार
Manu Vashistha
2318.पूर्णिका
2318.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
ओनिका सेतिया 'अनु '
महामना फुले बजरिए हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
महामना फुले बजरिए हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
तुम्हें आभास तो होगा
तुम्हें आभास तो होगा
Dr fauzia Naseem shad
बसंत का आगम क्या कहिए...
बसंत का आगम क्या कहिए...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
gurudeenverma198
दो अक्टूबर
दो अक्टूबर
नूरफातिमा खातून नूरी
संबंधो में अपनापन हो
संबंधो में अपनापन हो
संजय कुमार संजू
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
साहित्य गौरव
Loading...