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14 Apr 2020 · 2 min read

बाबा…

मैं तुम्हारे बाप का भी बाप हूँ… ये बात बहुत बार सुनने को मिलती है, हंसी मजाक में कभी लड़ाई झगड़े में धमकाने के अंदाज में, पर इसका ताल्लुक “बाबा” से है….. नही! वो संजय दत्त वाली बाबा नहीं, ना ही ‘चल न रे बाबा’ वाली बाबा से है। मेरी बात है सचमुच के बाबा वाली यानि बाप के भी बाप वाला। कुछ लोग दादाजी भी कहते हैं, अपन ठहरे ठेठ देहाती बिहारी अपन बाबा ही बुलाते हैं या यूं कहें कि थे क्यों कि वो अब इस दुनियां में नही हैं 2008 में उनका देहांत हो गया पर वो आज भी हैं इधर दिल में और हमारी यादो में, उनका नाम “शीतल प्रसाद” था। लम्बी कद काठी, धोती कुरता और गमछा से सुसज्जित, पैर में सफेद जूते, एक गोल वाला चश्मा पर हाथ में छड़ी ऐसे ही हमने उन्हें हमेशा देखा और यही छवि याद है आज तक, हाँ एक बात और उनके बाल सफेद नही हुए थे मरते समय तक एकदम काले और घने बाल थे ।
आज जब वो हमारे बीच नही हैं तो कभी कभी गाँव वालों से या उनके सहपाठी और दोस्तों से पता चलता है कि वो बहुत ही कुशाग्र बुद्धि के धनी थे, उनके दोस्त कहते हैं कि वो अपने सहपाठियों को स्कुल के बाद घर पर ट्यूशन पढ़ाया करते थे पैसों के लिए नही, ज्ञान बाँटने के लिए। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढाई की। नौकरी नही की क्यों कि उनका मानना था कि नौकरी करने वाले नौकर होते हैं हम नौकर नही हुजूर बनाना चाहते हैं। और ताउम्र हुजूर ही रहे कभी नौकरी करने की नौबत नही आने दी, अपने उम्र के अंतिम पड़ाव में बहुत धार्मिक हो गए थे। धर्म स्थल पर जाने का शौक नही था पर धार्मिक किताबों का बड़ा शौक था रामायण, महाभारत, शिवपुराण,विष्णुपुराण और भी धार्मिक किताबे पढ़ते थे और हमे बैठाकर समझाते थे और सच कहिए तो मुझे संस्कृत का चस्का यहीं से लगा । जब बाबा किताबे पढ़ते पढ़ते थक जाते तो मैं उनकी किताबो को पढ़ने लगता और उनके जगने पर उनसे उसके बारे में पूछता । बाबा कहते थे कि- बाबू तोहार संस्कृत के उच्चारण बहुत शुद्ध और साफ हाउ तू इहे पढिहें हमने एक दफा एक बात पूछी थी कि बाबा हम न पंडित हैं न तिवारी ये हमारे किस काम का क्या संस्कृत पढ़ के पूजा करा सकते हैं? बाबा ने मौन धारण कर लिया था और जवाब नहीं दिया पर उसके बाद कभी भी संस्कृत पढ़ने के लिए नही बोला । वो उसके बाद हमेशा कहते डॉक्टर बनना।
और भी उनसे जुड़ी बहुत सी यादें और किस्से हैं उनकी जवानी के किस्से जो उनके दोस्तों से पता चला उनके शादी के बाद की जिंदगी जो दादी से पता चला। पर इतना सब लिख पाना मुमकिन नहीं है इसलिए इतना ही।
और चलते चलते बाबा प्रणाम?? आशा है आप ऊपर से हमें आशिर्वाद दे रहे होंगे।

Language: Hindi
493 Views
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