बाबा करत धमाल हैं
बाबा करत धमाल हैं ,खेलत करत कमाल।
छेडि पड़ोसिन को रहे, लेकर हाथ गुलाल।
लेकर हाथ गुलाल, उन्हें वह बहुत सताते।
लाल रंग रचि हाथ , होरि वह खूब मनाते।
मिलीं पड़ोसिन चार,किया जब लठ से धाबा ।
कहै अटल कविराय , छोड़ कर भागे बाबा।
बाबा करत धमाल हैं ,खेलत करत कमाल।
छेडि पड़ोसिन को रहे, लेकर हाथ गुलाल।
लेकर हाथ गुलाल, उन्हें वह बहुत सताते।
लाल रंग रचि हाथ , होरि वह खूब मनाते।
मिलीं पड़ोसिन चार,किया जब लठ से धाबा ।
कहै अटल कविराय , छोड़ कर भागे बाबा।