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21 Mar 2021 · 1 min read

बाबा करत धमाल हैं

बाबा करत धमाल हैं ,खेलत करत कमाल।
छेडि पड़ोसिन को रहे, लेकर हाथ गुलाल।

लेकर हाथ गुलाल, उन्हें वह बहुत सताते।
लाल रंग रचि हाथ , होरि वह खूब मनाते।

मिलीं पड़ोसिन चार,किया जब लठ से धाबा ।
कहै अटल कविराय , छोड़ कर भागे बाबा।

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