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28 Apr 2018 · 1 min read

बादे-नौ-बहार चली

बाद-ए-नौ-बहार चली आ गयी हैं अब होली,
खिली हैं हर एक कली आ गयी हैं अब होली

सभी लोग मस्त हैं, अब नाचते हैं गाते हैं
तुम भी झूमो अपनी गली आ गयी हैं अब होली

रंग भी बिखरते हैं, बिखरते हैं ये जो कपड़ो पर,
बढ़ती हैं मुहब्बत दिली आ गयी हैं अब होली

पिचकारी-ओ-गुलाल, करते नारंग-ओ-सरसब्ज़,
हिंद की सूरत इसमें मिली आ गयी हैं अब होली

जानता हूँ मैं ‘तनहा’ नहीं हूँ अभी ग़ज़ल-गो मैं
गीत बन फिर ग़ज़ल चली आ गयी हैं अब होली!

3rd march 2k18
Tariq Azeem ‘Tanha’

536 Views
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