बात से अपनी अगर आप मुकर जाएंगे
बात से अपनी अगर आप मुकर जाएंगे
तो हमारी भी निगाहों से उतर जाएंगे
घेर रक्खा है हमें गम के अँधेरों ने यूँ
रोशनी की भी झलक देख के डर जाएंगे
सूख जाएंगे अगर प्यार की बरखा न हुई
पीले पत्तों की तरह हम तो बिखर जाएंगे
रखिये ये हौसलों के पंख सलामत अपने
उड़ न पाएंगे अगर ये ही कतर जाएंगे
कहने में आपने छोड़ी न कसर कोई भी
शब्द ये आपके कर दिल पे असर जाएंगे
जानते हैं कि बड़ा गहरा ये भवसागर
कर्मों की नाव बना पार उतर जाएंगे
जिस तरह रुक नहीं पाये खुशी के लम्हें हैं
‘अर्चना’ दौर ये मुश्किल भी गुजर जाएंगे
22-01-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद