Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jul 2017 · 1 min read

बात बाकी थी

कहां चले गए थे तुम।
मुझे अकेला छोड़ के।।
अभी मेरी बात बाकी थी ।।

रोशन बेशक थे चिराग ।
अधेंरी रात बाकी थी ।।

अभी बहुत दूर जाना था ।
तेरे संग इश्क की गलियों में

क्यूं छोड़ दिया हाथ मेरे अज़ीज़
अभी सांस बाकी थी ।।।

Language: Hindi
391 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*मन की पीड़ा मत कहो, जाकर हर घर-द्वार (कुंडलिया)*
*मन की पीड़ा मत कहो, जाकर हर घर-द्वार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हाँ मैं व्यस्त हूँ
हाँ मैं व्यस्त हूँ
Dinesh Gupta
पंचम के संगीत पर,
पंचम के संगीत पर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मैदान-ए-जंग में तेज तलवार है मुसलमान,
मैदान-ए-जंग में तेज तलवार है मुसलमान,
Sahil Ahmad
जीवन मे कुछ निर्णय
जीवन मे कुछ निर्णय
*Author प्रणय प्रभात*
सृजन के जन्मदिन पर
सृजन के जन्मदिन पर
Satish Srijan
এটা আনন্দ
এটা আনন্দ
Otteri Selvakumar
अ'ज़ीम शायर उबैदुल्ला अलीम
अ'ज़ीम शायर उबैदुल्ला अलीम
Shyam Sundar Subramanian
कर्म भाव उत्तम रखो,करो ईश का ध्यान।
कर्म भाव उत्तम रखो,करो ईश का ध्यान।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
त्यौहार
त्यौहार
Mukesh Kumar Sonkar
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
DrLakshman Jha Parimal
अधूरे ख्वाब
अधूरे ख्वाब
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
_______ सुविचार ________
_______ सुविचार ________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
खिलाड़ी
खिलाड़ी
महेश कुमार (हरियाणवी)
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आए तो थे प्रकृति की गोद में ,
आए तो थे प्रकृति की गोद में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
तो अब यह सोचा है मैंने
तो अब यह सोचा है मैंने
gurudeenverma198
जलियांवाला बाग,
जलियांवाला बाग,
अनूप अम्बर
इंतजार करना है।
इंतजार करना है।
Anil chobisa
रमेशराज के नवगीत
रमेशराज के नवगीत
कवि रमेशराज
उसकी हड्डियों का भंडार तो खत्म होना ही है, मगर ध्यान देना कह
उसकी हड्डियों का भंडार तो खत्म होना ही है, मगर ध्यान देना कह
Sanjay ' शून्य'
तारे दिन में भी चमकते है।
तारे दिन में भी चमकते है।
Rj Anand Prajapati
कुछ लोग प्रेम देते हैं..
कुछ लोग प्रेम देते हैं..
पूर्वार्थ
कारण कोई बतायेगा
कारण कोई बतायेगा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
-- फ़ितरत --
-- फ़ितरत --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
2490.पूर्णिका
2490.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सपने
सपने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चाहत ए मोहब्बत में हम सभी मिलते हैं।
चाहत ए मोहब्बत में हम सभी मिलते हैं।
Neeraj Agarwal
हंसते ज़ख्म
हंसते ज़ख्म
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
"चुम्बकीय शक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...