Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2017 · 1 min read

बात पनघट की

ब्रज भाषा में एक रचना ….!
(पनघट पर एक नारी अपनी सखी से कह रही है अपने मन की बात । संदर्भ पुराना है ।गीत भी पुराना है ।अब तो पनघट ही नहीं रहे …….)
****************
बात पनघट की
————–
हँसुलिया मेरी गिरवी धरी ।
अबकै बहना सूखौ परि गयौ ,
कैसी परवी परी ।
हँसुलिया मेरी गिरवी धरी ।।

बैल बिकौ जब ब्याज चुकायौ ,
भैंस बेच कै नाज मँगायौ ,
भूखी गाय रँभावै कहाँ ते लाऊँ चरवी हरी ।
हँसुलिया मेरी गिरवी धरी ।।1

दूध बिना रोवै है ललना,
छाती फटै परे है कल ना,
छोरी इक्कीसी पै आई आँख कंकरी परी ।
हँसुलिया मेरी गिरवी धरी ।।2

राम निठुर है गयौ हमारौ,
काऊ कौ नाँय नैक सहारौ,
तीन दिना ते ताव बलम कूँ दवा न दारू करी ।
हँसुलिया मेरी गिरवी धरी ।।4

बालक तरसैं हैं टूकन कूँ,
कैसै धीर धराऊँ मन कूँ,
रूखी हलक न चलै चपटिया गुड़ की रीती धरी ।
हँसुलिया मेरी गिरवी धरी ।।5

कोउ मठा भी अब नाय देवै,
फटकारै गारी दै लेवै ,मुसकिल है गयौ जीनौ बहना ,जिंदी हूँ ना मरी ।
हँसुलिया मेरी गिरवी धरी ।।6

साहुकार कौ सम्मन आयौ,
संग सिपाही झम्मन लायौ,
सिगरी धरती कुड़क भई ई कैसी बिजुरी परी ।
हँसुलिया मेरी गिरवी धरी ।।7
—–
-महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा ।
***
शब्दार्थ…..
हँसुलिया-गले का आभूषण, परवी-विपत्ति,
चरवी-हरा चारा,ललना-बेटा, ताव-बुखार , चपटिया-घड़ा , रीती-खाली, बिजुरी-बिजली

Language: Hindi
Tag: गीत
325 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahesh Jain 'Jyoti'
View all
You may also like:
एक तुम्हारे होने से...!!
एक तुम्हारे होने से...!!
Kanchan Khanna
आप हमको पढ़ें, हम पढ़ें आपको
आप हमको पढ़ें, हम पढ़ें आपको
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
क्या आप उन्हीं में से एक हैं
क्या आप उन्हीं में से एक हैं
ruby kumari
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
इंसान फिर भी
इंसान फिर भी
Dr fauzia Naseem shad
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
काश - दीपक नील पदम्
काश - दीपक नील पदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मेरी तो धड़कनें भी
मेरी तो धड़कनें भी
हिमांशु Kulshrestha
मैं भौंर की हूं लालिमा।
मैं भौंर की हूं लालिमा।
Surinder blackpen
कब तक बचोगी तुम
कब तक बचोगी तुम
Basant Bhagawan Roy
कि  इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
कि इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
Mamta Rawat
तुम्हारी जय जय चौकीदार
तुम्हारी जय जय चौकीदार
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
Swami Ganganiya
3244.*पूर्णिका*
3244.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेटा ! बड़े होकर क्या बनोगे ? (हास्य-व्यंग्य)*
बेटा ! बड़े होकर क्या बनोगे ? (हास्य-व्यंग्य)*
Ravi Prakash
ऐसा कभी नही होगा
ऐसा कभी नही होगा
gurudeenverma198
हर-दिन ,हर-लम्हा,नयी मुस्कान चाहिए।
हर-दिन ,हर-लम्हा,नयी मुस्कान चाहिए।
डॉक्टर रागिनी
मैं गीत हूं ग़ज़ल हो तुम न कोई भूल पाएगा।
मैं गीत हूं ग़ज़ल हो तुम न कोई भूल पाएगा।
सत्य कुमार प्रेमी
सुप्रभात..
सुप्रभात..
आर.एस. 'प्रीतम'
मां ने भेज है मामा के लिए प्यार भरा तोहफ़ा 🥰🥰🥰 �
मां ने भेज है मामा के लिए प्यार भरा तोहफ़ा 🥰🥰🥰 �
Swara Kumari arya
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
Neerja Sharma
जिन्दा हो तो,
जिन्दा हो तो,
नेताम आर सी
22)”शुभ नवरात्रि”
22)”शुभ नवरात्रि”
Sapna Arora
’जूठन’ आत्मकथा फेम के हिंदी साहित्य के सबसे बड़े दलित लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि / MUSAFIR BAITHA
’जूठन’ आत्मकथा फेम के हिंदी साहित्य के सबसे बड़े दलित लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
तुम चाहो तो मुझ से मेरी जिंदगी ले लो
तुम चाहो तो मुझ से मेरी जिंदगी ले लो
shabina. Naaz
तुझसें में क्या उम्मीद करू कोई ,ऐ खुदा
तुझसें में क्या उम्मीद करू कोई ,ऐ खुदा
Sonu sugandh
रिश्तों का सच
रिश्तों का सच
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
बड़े हौसले से है परवाज करता,
बड़े हौसले से है परवाज करता,
Satish Srijan
* लोकार्पण *
* लोकार्पण *
surenderpal vaidya
Loading...