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10 Dec 2020 · 1 min read

बात ऐसी बिगड़ी कि फिर बनी ही नहीं

वो रूठा तो उसने मेरी सुनी ही नहीं
बात ऐसी बिगड़ी कि फिर बनी ही नहीं

वादा निभाने वाले मुश्किल से मिलते हैं
वादे करने वालों की कोई कमी ही नहीं

वह मुझसे बिछड़ने का ग़म क्यूं करेगा
जब मेरे मिलने की उसको खुशी ही नहीं

मेरी नज़रो से मिलकर जब जब झुकी
उसकी नजर फिर शर्म से उठी ही नहीं

तुम से बिछड़ कर हम जीते भी तो कैसे
तुम्हारे बाद ज़िन्दगी कुछ बची ही नहीं

ग़म में ही रोते है ग़म में ही हंस लेते हैं “अर्श”
खुशी क्या चीज़ है हमने कभी देखी है नहीं

2 Comments · 289 Views
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