बहेलिया
सारा खेल तो बहेलिया के बहकाने में ही है
तोता को कहां पता होता कि वो कैदी है
बहेलिया हाथ दिखता है, मधुर संगीत सुनाता है, दाना खिलाता है
जंगल के पशु पक्षी का डर दिखता है
फिर जाकर कहीं जाल बिछाता है
सहलाते हुए पिंजड़े तक ले जाता है
मिर्चें खिला कर राम नाम रटाता है
फिर दुनियां के तमाम आजादी पसंद इंसान को सैयाद बताता है
तोता पीछे पीछे वही दोहराता है
आजादी नर्क है, आजादी नर्क है
बेड़ी और पिंजरा सुरक्षा का विलोम है
बताओ तोता गलत या बहेलिया???
~ सिद्धार्थ