बहुत दिनो बाद …. ( लॉक डाउन के दौरान प्रकृति व पर्यावरण )
बहुत दिनो बाद प्रकृति ने ली अंगड़ाई ,
सारी सृष्टि में खुशियों की लहर छाई ।
नदियां हुई स्वच्छ,निर्मल जैसे दर्पण ,
सागर में आकाश सी नीलिमा लहराई ।
पेड़ ,पौधे,लताओं ने ओढ़ी धानी चूनर ,
खेतों ने भी हरियाली चादर है बिछाई।
बहुत दिनो बाद हवाओं में वही ताजगी ,
वही शीतलता श्वासों में समाहित हुई ।
पक्षियों का मधूर कलरव सुना था कभी !
आज उनकी मिठास कानों में दी सुनाई ।
पशुयों को न मिली अब तक स्वतन्त्रता ,
मगर आज आनंद से झूमने की घड़ी आई ।
समस्त जड़ -चेतन ने पाय जो पुनर्जीवन ,
विधाता ने उन्हें अनमोल ऐसी भेंट दी ।
मनुष्यों ने जो छिना,कुदरत ने वो लौटाया,
‘उसके’ इस न्याय ने विश्वास की जोत जलाई ।
बहुत दिनो बाद यह एहसास दिलाया ‘उसी’ ने ,
ये धरती केवल मानवों के लिए ही नहीं ,
ये समस्त जड़- चेतन के लिए उसने बनाई ।
प्रकृति व पर्यावरण बिना मनुष्य है निरुपाय ,
देर से ही सही परंतु बात हमारी समझ में तो आई ।