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12 Aug 2016 · 1 min read

बहुत खूबसूरत वो कमसिन हसीना

बहुत खूबसूरत वो कमसिन हसीना
किया जिसने मुश्किल बहुत मेरा जीना
बहुत खूबसूरत वो कमसिन हसीना

किसी काम से जा रहा था मै बाहर
मिली वो मुझे रेल गाड़ी के अन्दर
किनारे अलग सबसे बैठी हुयी थी
ख्यालों में अपने वो उलझी हुयी थी
बदन था कि जैसे कोई संगमरमर
लपेटी थी उसने स्यह रंग चादर
बहुत खूबसूरत वो कमसिन हसीना बहुत खूबसूरत

तभी एक झोके ने कर दी शरारत
किया उसकी चादर ने रुख से बगावत
नज़रआ गया फूल सा उसका चेहरा
कि बदली मे हो जैसे सूरज सुनहरा
उठी शोख़ उसकी नज़र मेरी जानिब
हुई फिर वो लम्हों मे मुझसे मुख़ातिब
बहुत खूबसूरत वो कमसिन हसीना
बहुत खूबसूरत

दिया नर्म हाथों से कागज़ का टुकड़ा
कहा इसमे देखो लिखा है पता क्या
उतरना कहॉ है ज़रा ये बता दो
मुझे इस जगह का पता तो बता दो
बहुत खूबसूरत वो कमसिन हसीना
बहुत खूबसूरत

ये सुनते ही होने लगा मैं दिवाना
मै खुद भूल बैठा कहॉ तक है जाना
वो आवाज़ थी याकि पायल की छम छम
मेरे ज़ेह्न में भर दिया जिसने सरगम
कहॉ जाऊं किससे पता उसका पूंछू
बता ऐ मेरे दिल कहॉ उसको ढूंढूं

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