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28 Dec 2017 · 1 min read

बस माँ समझ पाती है

बस माँ समझ पाती है

मेरे भीतर दबे अरमानों को
बस माँ समझ पाती है
होता हूँ माँ से दूर
मुझे हिचकी बहुत आती है
अपने बच्चों को परेशान देख
माँ कब चैन से सो पाती है
बच्चों की हर विपदा को बस
माँ समझ पाती है
नौ माह कोख में रख
नाजाने कितने कष्ट सह
एक नयी दुनिया हमे दिखाती है
एक माँ कब दर्द अपना बताती है
माँ की दुआ ही तो ज़िन्दगी बनाती है
बच्चों की ख़ुशी के लिए
अपनी हर इच्छा माँ दबाती है
अपनी दुनिया भी माँ को बस
अपने बच्चों में ही नजर आती है
बिन बोले बच्चों के कर भाव को
बस माँ समझ पाती है

भूपेंद्र रावत
28/12/2017

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 425 Views
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