बस नं. 13
बस के रुकते ही सभी जो रोज़ इस स्टॉप से चढ़ते थे चढ़ गए. किंतु वह आज भी नहीं आई. सोम सोंच में पड़ गया. आखिर क्या बात है. इधर करीब पंद्रह दिन से वह नहीं आ रही थी.
जहाँ से वह बस पकड़ता था उसके एक स्टॉप आगे से वह भी बस में बैठती थी पर दोनों एक ही स्टॉप पर उतरते थे. पिछले तीन माह से यही रुटीन था. वह देखने में उसकी छोटी बहन जैसी लगती थी. इसलिए एक बार उसने उसका नाम पूँछा था. उसने बताया था कि उसका नाम मुस्कान है और वह सातवी कक्षा में पढ़ती है.
इधर दो तीन दिन से सोम उसके बारे में सोंच रहा था. उसने स्वयं को समझाया ‘क्यों परेशान होते हो. कुछ भी हो तुम्हें क्या.’ पर मन नहीं मान रहा था. उसका ध्यान बार बार उधर ही जा रहा था.
सोम अपने स्टॉप पर उतरा तो उसे वह लड़की दिखी जो अक्सर मुस्कान को यहीं पर मिलती थी. सोम ने आवाज़ देकर उसे रोका.
“वह लड़की जो इस बस से उतरती थी और….”
“आप शायद मुस्कान की बात कर रहे हैं.” उसकी बात बीच में ही काट कर वह बोली.
“हाँ मुस्कान आज कल स्कूल नहीं आ रही है क्या.” सोम ने जिज्ञासा दिखाई.
“मुस्कान अब इस दुनिया में नहीं है. स्कूल से लौटते हुए उसका एक्सीडेंट हो गया था.” उस लड़की ने बताया और फिर स्कूल के लिए चली गई.
सोम कुछ देर तक निश्चल खड़ा रहा. उस लड़की की अकस्मात मौत के समाचार से उसके दिल में पीड़ा हो रही थी. पर उसने खुद को संभाला और अपनी राह चल दिया. उसे भी तो समय पर दफ्तर पहुँचना था.