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13 Apr 2018 · 3 min read

बलात्कार नेताओं की बहिन बेटी के साथ क्यों नही होते ?

लेख- बलात्कार नेताओं की बहिन बेटी के साथ क्यों नही होते ?
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वैसे भी कुछ फर्क पड़ा हमें क्या ?
रोज़ की तरह एक नया बलात्कार का किस्सा सुनकर । हम लोग ऐसी घटनाओं के इतने आदि हो चुके हैं कि घर के बाजू में कुकृत्य हो जाये तब भी मूक दर्शक बने देखेगे ।
ये बलात्कार नेताओं की बहिन बेटी के साथ क्यों नही होते ? एक भी नेता की बेटी के साथ ऐसा कृत्य हो जाये , सरकार तुरंत ही सतर्क हो जायेगी और कार्यवाही शुरू हो जाएगी, अगर नही हुई तो अंधभक्त करवा देंगे, जो अभी इतने जघन्य अपराध देख सुन कर चुप हैं, डूब मरो सालों तुमको अब आंदोलन करना जरूरी नही लगता । घटिया से घटिया चीजों के लिए सड़कों पर उतर आते हो , नाकारों ।
इतना ही नहीं अपनी अपनी पार्टी और सत्ता को बचाने के लिए नेता अपने दलीय साथी को अपराधी घोषित नही होने दे रहे । बढ़ावा दे रहे हैं कि जाओ तुम अपराध करो हम हर बार तुम्हे बचा लेगें । बारबार बलात्कार की घटनाएं होना साबित करती हैं कि उनका पुरुषत्व और भोग क्रियाएं , घर के बंद कमरे में पूरा नहीं हो पा रहा इसलिए … या फिर बीवी में वो बात नहीं रही जो नाबालिग लड़कियों से यौन संबंध बनाने में रहती है ।
उन्नाव केस, कठुआ केस और अब सासाराम केस… हद हो गयी है ।
माफ करना आशिफ़ा, एक हिन्दू धार्मिक स्थल पर यह घटना, चुल्लू भर पानी मे डूब मरने वाली है । तुम चली गयीं कई सवाल खड़े करके, और हम अब भी दुख मना रहे हैं । इतनी हिम्मत ही नही की अपराधियों को गोली मार दें । आखिर तुम ही बताओ नेताओ की बेटियों के साथ बलात्कार क्यों नही होते ?
8 साल की आसिफा. 7 दिन तक भूख से तड़पती. नशीली दवाओं से सुन्न पड़ी. कई दिनों तक कई बार गैंगरेप. पहले दुपट्टे से गला घोंटा गया और अंत में सिर पर पत्थर मारकर हत्या. यह दिल दहला देने वाली घटना एक हिन्दू धार्मिक स्थल (देवस्थान) पर हुई. बात यही नहीं खत्म होती. गैंगरेप का मास्टरमाइंड उसी धार्मिक स्थल का केयरटेकर है जो की राजस्व अधिकारी रह चुका है. उसने अपने बेटे और भतीजे को इस जघन्य घटना में शामिल किया और धीरे-धीरे पुलिस भी इसमें शामिल हो गई. बात अब भी खत्म नहीं होती. इस पूरे मामले में आरोपियों को बचाने के लिए लोग सामने आ गए हैं और बकायदा एक मोर्चा बन गया है, जो आरोपियों को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहा है !
हम लोगों को अब बहुत गहराई से मार्मिक चिंतन करना होगा , कि समाज किस ओर बढ़ रहा है । एक 8 साल की बच्ची के साथ दरिंदगी, इस कदर रूह कपां देने वाली घटना आखिर कब तक होती रहेंगी ?
दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक नाबालिग लड़की के रेप के अभियुक्त, भारतीय जनता पार्टी के नेता कुलदीप सिंह सेंगर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ़्तार करने से अपना पल्ला झाड़ लिया, उन्नाव की घटना 4 जून 2017 को हुई थी. पीड़िता ने 17 अगस्त को आरोपी विधायक के खिलाफ शिकायत की थी. लेकिन इस मामले में करीब 10 महीने बाद भारी हंगामा होने के चलते केस दर्ज हो सका है।
भाजपा के राज में ऐसा होना वाकई ताज़्ज़ुब भरा है और फिर केस दर्ज ना होना, पिता की मौत । बढे हंगामे के कारण अब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के दखल के बाद उन्नाव गैंगरेप मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है.
तीसरी ओर, सासाराम केस। दो बच्चों के बाप ने दरवाजे पर खेल रही एक छह वर्षीया बच्ची को गांव बहला-फुसलाकर खेत में ले जाकर दुष्कर्म किया।
इतना सब सुनने पढ़ने के बाद हमें फर्क पड़ा ?
नहीं ना । पड़ेगा भी नहीं तब तक, जब तक खुद के घर में ऐसा नहीं हो जाता और जब तक पुरुषों को संभोग करने का अच्छा साधन नहीं मिल जाता तब तक शायद …. शर्मनाक ।

– जयति जैन ‘नूतन’, बेबाक -स्वतंत्र लेखिका
युवा लेखिका, सामाजिक चिंतक ।

Language: Hindi
Tag: लेख
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